राजेश्वर पैन्यूली (CA)
हमारे कुछ मित्रों के अनुसार इन्वेस्टर्स समिट में ,
आज कुछ वैसी ही फीलिंग आ रही है जैसी बचपन में तब आती थी
“जब कोई मेहमान हमारे घर आकर बातें तो बड़ी-बड़ी छोड़ता था लेकिन वापस जाते समय हम बच्चों को बिना पैसे दिये चला जाता था….”
आज माननीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने देहरादून मे 7 अक्तुबर,2018 को 2 दिन की ” इन्वेस्टर्स समिट” ( Investors Summit) का शुभारम्भ किया।
माननीय PM साहब हमारे प्रदेश मे आये उनका धन्यवाद है। साथ ही साथ उन सब उद्योगपतियों का भी धन्यवाद करते हैं जो उत्तराखण्ड मे उद्योग / व्यापार की संभावना तलाशने आये हैं।
ये ” इन्वेसटर्स समिट” (Investors Summit) होती क्या है ??
ऐसे समझें तो ये एक तरह की प्रदर्शनी होती है जो किसी भी प्रदेश की सरकार द्वारा की जाती है , ये बताने के लिए कि वह उद्योग /व्यापार के लिए क्या-क्या सुविधा देती हैं या दे सकती हैं और उस प्रदेश मे क्या-क्या संभवनायें हैं व्यापार / उद्योग की और जब लोग आयेगें कुछ व्यापार करेंगे तो निश्चित रुप से ही उस प्रदेश की कुछ तरक्की होगी , लोगों की आय बढेगी आदि आदि।
देखने सुनने मे बड़ा अच्छा लगता है।
पर मुद्दे की बात ये हैं कि क्या श्री मोदी सरकार का यही उदेश्य है या सिर्फ 2019 मे होने वाले लोक सभा चुनाव को देखते हुए जनता को दिखाने के लिए कुछ माहौल बनाया जा रहा है ?
ये बात हम ऐसे ही नहीं कह रहे हैं।
फरबरी , 2018 मे UP मे भी ऐसे ही ” इन्वेस्टर्स समिट” (Investors Summit ) हुई थी ,वहां भी माननीय PM साहब ने उद्घघाटन किया था और UP के CM साहब ने घोषणा की लगभग Rs. 2450 लाख करोड 3-5 साल मे उद्योगपति लगायेंगे … और वो उद्योगपति कौन थे ? मुख्य रुप से , वहीं श्री अदानी , अम्बानी, बिरला , हिन्दुजा आदि कुछ सरकारी कम्पनीयां भी जैसे की BHEL आदि,आदि।
खर्चा हुआ इस प्रदर्शनी का U P सरकार का लगभग Rs. 65 करोड़। ये PM साहब के खर्चे को छोड़ कर हैं .. ।
अब तक के 7 महीने मे पैसे कितने आये ….जीरो ( Zero)….।
अब ये अम्बानी , श्री राम देव अदानी आदि से ही UP या उत्तराखण्ड के CM / भारत के PM साहब को मिलना था तो ” इन्वेसटर्स समिट” की क्या जरूरत थी ?? उनसे तो माननिय CM / PM साहब अपने अधिकारियों सहित दिल्ली मे ही मीटिंग कर लेते , खर्चा भी कम होता और आमने सामने बात भी हो जाती।
अब समझिये कि ये Investment को तथाकथित investors ले कर आयेंगे भी तो आयेंगे कहाँ से ?? यही घूम फिर कर टोपी पहनाने वाली बात … श्री अदानी जी को तो साउथ अफ्रीका के लिए भी कोयले की खदान ( coal mines) के लिए Rs 6,000 करोड़ SBI से लोन चाहिए था ..और लगभग 70 % तथाकथित Investment की UP की लिस्ट एेसे ही उद्योगपतियों की है ,जो सरकार के ही पैसे को लगायेंगे … कुछ लेन -देन होगा और फिर …बोला जायेगा कि .. investment आया है।
अब क्योंकि बैंकों की हालात भी गलत नीतियों जिसमे कि नोट बन्दी ,गलत तरीके से GST लगाने , 2-4 गुजरात के सरकार के करीबियों द्वारा Rs1,00,000 करोड़ से अधिक का बैंकों का पैसा ले कर विदेश भाग जाने के कारणों आदि से खराब हो गए हैं तो उनके पास भी लोन देने के लिए पैसे नहीं बचे हैं ,इसलिये UP या UK मे अब तक Investment भी जीरो ही हुआ है। हाँ खर्चा उन तथाकाथित Investment को लाने के लिए UP का Rs.100 करोड़ और UK का Rs.40 करोड़ से ज्यादा हो चुका हैं …और आया कुछ नहीं है।
सच बात ये है कि कोई भी investment वास्तविक रुप से कोई भी उद्योगपति या व्यापारी तभी करता है जब व्यापार का उचित माहौल हो , सरकार की विश्वसनीयता हो ,आर्थिक स्थिति मजबूत हो।
सरकार के ऊपर कुछ ही व्यापारी गण को भरोसा है। …शायद वहीं गिने चुने अदानी और अम्बानी ग्रुप ..और श्री अदानी तो उत्तराखण्ड के माननीय CM साहब से 2-4 दिन पहले ही मिल कर गए हैं ।
फिर कौन-कौन आया इस ” इन्वेसटर्स समिट” (InvestosSummit ) मे देहरादून मे …??
लगता हैं घूम फिर कर वहीं लोग .. शायद investors MOU की लिस्ट भी टाइप हो चुकी होगी घोषणा करने के लिए .।
और खर्चा इस ” इन्वेसटर्स समिट” (InvestorsSummit ) का भी .. वही शायद 40-50 करोड रूपये होगा।
इस गरीब प्रदेश का जहां सरकारी लोगों की तख्वा देने को पैसे नहीं , स्कूल बंद किये जा रहे हैं ..।
और तो और क्या वास्तव मे उत्तराखण्ड के स्टार्टअप या युवकों के लिए कुछ अच्छा होने वाला हैं ?? य़ा फिर ये सब सिर्फ 2019 लोकसभा चुनाव की तैयारी जनता के धन पर सत्ता धारियों द्वारा किया जाना है का एक तरीका हैं ..??
भारतीय रुपया भी लगातार कमजोर हो रहा है। एक डॉलर की कीमत 74 रुपए तक पहुंच गई है। गुरुवार को शेयर बाजार 800 से ज्यादा अंक गिरकर बंद हुआ है। बाजार में बेतहाशा महंगाई हो गई है।
सरकार की गलत नीतियों के चलते भुखमरी के हालात बनने लगे हैं। अर्थ व्यवस्था की इतनी बुरी स्थिति है।
भारतीय स्टाक बाज़ार और बान्ड से साल भर के भीतर विदेशी निवेशकों ने 900 करोड़ डॉलर निकाल लिए हैं।
जिस सरकार की विश्वानियता बहुत निचले स्तर पर है तो फिर कौन वास्त्विक investor इस माहौल मे आने वाला है या पैसे लगाने वाला है !
कुछ सूत्रों के अनुसार
इन्वेस्टर समिट में किसी भी औद्योगिक समूह ने नहीं कि इन्वेस्टमेंट की घोषणा। 25-26 करोड़ रुपए हुए स्वाहा। 70 हज़ार करोड़ के इन्वेस्टमेंट के mou करने का दावा फुस्स हुआ।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि 18 सालों में राज्य में 37 हज़ार करोड़ का इन्वेस्टमेंट हो चुका है। समिट में आमंत्रित लोगों में जो समूह आये उन सभी ने यहाँ 2003 से लेकर 2007 के बीच निवेश किया था। सभी ने उत्तराखंड को इन्वेस्टमेंट के लिये अच्छा डेस्टिनेशन बताया।
अमूल ने भी नहीं की किसी प्रकार के निवेश की घोषणा जबकि मुख्यमंत्री ने कहा था कि अमूल करेगा राज्य में निवेश, इसके विपरीत अमूल आँचल डेरी के कर्मचारियों को केवल प्रशिक्षण देंगे। ITC, महिंद्रा, JSW, आदि ने भी कोई घोषणा नहीं की। अब सवाल ये है कि ये 70,000 करोड़ के निवेश MoU का आधार क्या है? जबकि पिछले 18 वर्षों में केवल 37 हज़ार का ही इन्वेस्टमेंट हुआ हो। ये 37 हज़ार का इन्वेस्टमेंट भी तब आया जब राज्य ने हरिद्वार, रुद्रपुर, सेलाकुई में औद्योगिक आस्थान विकसित किये और कई निजी आस्थानों को को भी इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए प्रोत्साहित किया। आज राज्य के पास देने के लिए ज़मीन भी नहीं है। ये बात महिंद्रा एंड महिंद्रा के सीईओ ने अपने आज के भाषण में कही कि हमने 2003 में गलती की कि उस समय लैंड होने के बावजूद हमनें विस्तार के लिए लैंड नहीं ली।
आज मुख्यमंत्री भी राजनीतिक रूप से विफल साबित हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इन्वेस्टर समिट में आने के राज्य हित में लाभ नहीं उठाया। उन्होंने एक अच्छा मौका गवां दिया। न तो उन्होंने पीएम से कुछ मांगा और न ही पीएम ने कुछ देने की बात कही। समिट के उद्घाटन से पूर्व या बाद में पीएम की राज्य के आला अधिकारियों से कोई मीटिंग सम्पन्न नहीं हो पाई।
केंद्र सरकार स्तर पर लटके कई मामले आज हल किये जा सकते थे, लेकिन लीडरशिप इसके लिए तैयार नहीं थी। यदि आज इन्वेस्टरों को लुभाने के लिए कोई आर्थिक पैकेज की घोषणा होती तो शायद इस समिट का आयोजन सार्थक होता और राज्य के लोगों के द्वारा दिये गए टैक्स में से खर्च किया गया 25 करोड़ रुपए का कोई लाभ दिखाई देता।
मानानीय प्रधान मंत्री ने सिर्फ भाषण दिये और रामदेव टाइप की 2-3 स्टाल पर चुनावी मित्रता निभाने गए ….
कोई इन्वेसटर्स नहीं, कोई सरकारी नीतियां नहीं तो क्या करने जा रही है प्रदेश सरकार …
VIP गए और सरकारी ताम झाम गायब …बस माननीय CM साहब की पूर्व निर्धारित घोषणा होगी कि कितने लाख करोड़ का इन्वेस्टमेंट आयेगा !
देखते रहें कि एेसे ये सरकार जनता का धन अपने प्रचार के लिए खर्च कर रही ..जमीन पर कुछ नहीं …। आपको क्या लगता है कि इस सरकार को 2019 लोकसभा मे इसका कितना फायदा मिलेगा !