तीन जिला आबकारी अधिकारी हुये निलंबित, दून,हरिदार,चंपावत जिले के अधिकारी निलंबित, इनके स्थान पर अभी किसी की तैनाती के आदेश नही, सूत्रों के मुताबिक फिलहाल नई तैनाती नही होगी
एक माह के लिये दिये जाने वाले ठेके कम पर देने का आरोप, मंत्री प्रकाश पंत ने जारी किये निलंबन के आदेश, तीनो जिलो में adm को चार्ज मिलेगा
आबकारी विभाग में घोटाले पहले भी होते रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की आपसी गठजोड़ होने अथवा दूसरे गुट के कमजोर होने के कारण मामले कभी इस तरह से प्रकाश में नहीं आए। वर्तमान में आबकारी विभाग में शीर्ष अधिकारियों के दो गुट खासे सक्रिय हैं। एक गुट हरीश रावत के समय पर प्रभावशाली था तथा दूसरा गुट वर्तमान में प्रभावशाली है। हरीश रावत के कार्यकाल में प्रभावी गुट ने डेनिस शराब और एक शराब कंपनी की बिक्री अनिवार्य रूप से सुनिश्चित करवा दी थी तो भाजपा सरकार में दूसरे गुट ने मॉल में इंपोर्टेड शराब की बिक्री एक ही ग्रुप को देने की मोनोपॉली के साथ ही शराब की दुकानों को तय राजस्व से कम कीमत पर देकर बड़ा घोटाला कर दिया। अंतर सिर्फ यह है कि हरीश रावत के समय पर चांदी काट चुका ग्रुप ने इस बार के सभी घोटाले मीडिया को लीक कर दिए। मीडिया में सवाल उठने पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने सरकार को घेर दिया। चौतरफा घेराबंदी से बैकफुट पर आई सरकार ने आबकारी नीति में कई संशोधन किए और जब फिर भी मामला नहीं संभला तो तीन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया।
हालांकि यह अलग बात है कि शराब ठेकेदार लोगों से सरकार द्वारा निर्धारित दरों से १० रुपए से ५० रुपए तक ज्यादा वसूल रहे हैं। बता दें कि बिना आबकारी अधिकारियों की छत्रछाया के लोगों से ओवर रेट वसूलना संभव नहीं है। इस पर आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने इसके खिलाफ कार्यवाही करने की बात तो कही है, लेकिन अभी धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल पाया।
हालांकि यह अलग बात है कि शराब ठेकेदार लोगों से सरकार द्वारा निर्धारित दरों से १० रुपए से ५० रुपए तक ज्यादा वसूल रहे हैं। बता दें कि बिना आबकारी अधिकारियों की छत्रछाया के लोगों से ओवर रेट वसूलना संभव नहीं है। इस पर आबकारी मंत्री प्रकाश पंत ने इसके खिलाफ कार्यवाही करने की बात तो कही है, लेकिन अभी धरातल पर ऐसा कुछ देखने को नहीं मिल पाया।
उत्तराखण्ड में 2018-19 की आबकारी नीति लागू हो गयी है जिसमें अगले शराब की दुकानों का आबंटन ई-टेंडरिंग से होना तय माना जा रहा है। इस सरकार ने अपने ही पूर्व ईमानदार मुख्यमंत्री श्री भुवनचंद्र खण्डूरी की नीति जिसमें लाटरी के माध्यम से दुकानों का आबंटन उसे खत्म कर दिया है। अब इस सरकार इस नयी नीति को लाकर बड़े माफिया तंत्र को निमंत्रण दे रही है, जिसके चलते उत्तराखंड के छोटे व्यवसायी जो इस काम से जुड़े थे, उनको खत्म करने का ये सरकार प्रयास कर रही है। जिससे स्थानीय व्यवसायी व इनसे जुड़े लोग आज आहत हैं।
सरकार तर्क दे रही है कि नाम से दुकान जिले के आदमी की खुलेगी बिल्कुल खुलेगी, पर वो उस बड़े माफिया तंत्र का महज़ नाम होगा। आज ये डबल इंजन की सरकार पूरी तरह शराब के राजस्व पर निर्भर हो गयी है। आज ये सरकार अपने राजस्व के लिए इस प्रदेश के छोटे व्यवसाइयों का गला रेतने को तैयार है। जिसके चलते गंभीर हालत होने वाले हैं। जीरो टोलरेंस की इस सरकार पर बड़े माफियाओं से सांठ गांठ की बात भी चर्चाओं में है। हो सकता है बड़े माफिया तंत्र से मिली हो। भाजपा आजीवन सहयोग निधि की बड़ी क़िस्त का अहसान ये सरकार चुका रही हो।
सरकार तर्क दे रही है कि नाम से दुकान जिले के आदमी की खुलेगी बिल्कुल खुलेगी, पर वो उस बड़े माफिया तंत्र का महज़ नाम होगा। आज ये डबल इंजन की सरकार पूरी तरह शराब के राजस्व पर निर्भर हो गयी है। आज ये सरकार अपने राजस्व के लिए इस प्रदेश के छोटे व्यवसाइयों का गला रेतने को तैयार है। जिसके चलते गंभीर हालत होने वाले हैं। जीरो टोलरेंस की इस सरकार पर बड़े माफियाओं से सांठ गांठ की बात भी चर्चाओं में है। हो सकता है बड़े माफिया तंत्र से मिली हो। भाजपा आजीवन सहयोग निधि की बड़ी क़िस्त का अहसान ये सरकार चुका रही हो।
आज ये ज़ीरो टोलरेंसकी सरकार प्रदेश में वो नीति ले कर आ गयी है, जिसको उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूरी तरह से बाहर कर दिया। आज उत्तराखण्ड की ये सरकार मायावती व मुलायम सरकार की नीति को अपनाकर क्या जताना चाहती है? उत्तर प्रदेश में ई -लाटरी ईमानदार कदम ओर उत्तराखण्ड मैं ई- टेंडरिंग माफिया राज? उत्तराखण्ड के छोटे व्यवसायी के साथ छलावा? यदि सरकार उत्तराखण्ड के लोगों के लिए सवेंदनशील है तो ई-टेंडर को खत्म कर निर्णय वापस ले व उत्तराखण्ड में ई-लाटरी कराकर स्थानीय लोगों का हित कायम रखे।