नीरज उत्तराखंडी
यह दर्दनाक कहानी है जनपद उत्तरकाशी के सीमांत तहसील के सुदूवर्ती गाँव लिवाडी की कुमारी हरिशमा की।
दो बरस की अल्प आयु में एक ओर जहाँ दुर्घटना में पिता सिलदार सिंह रावत की आकस्मिक मौत ने हरिशमा के सिर से पिता का साया छीन लिया था; वही दूसरी ओर उसकी सगी मां कुन्ददेई व सौतेली मां दिल देई दोनों ने भी अपने सांसारिक सुख के लिए नन्हीं सी अबोध बालिका को भगवान भरोसे छोड़कर दूसरी शादी कर डाली।
कुदरत ने पिता का प्यार छीना तो वहीं मां की ममता भी निर्मम होकर रूठ गई।माता-पिता का यूँ छोड़ कर चलें जाने से मासूम बच्ची के उपर मानों दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। ऐसे समय में मासूम बच्ची का लालन-पालन उनके मामा के घर उनकी नानी ने किया।
मासूम हरिशमा को नानी माँ ने मां की ममता तथा पिता के प्यार की कमी नहीं खलने दी। मामा पक्ष ने उनका पालन पोषण ही नहीं किया अपितु उच्च शिक्षा दिलाकर अपने कर्तव्य का पालन कर रिश्तों की अहमियत को नई ऊंचाई दी। लेकिन दुर्भाग्य ने उसका पीछा नहीं छोड़ा ।नियति से जंग जीतने के बाद उसे अब अपने हक के लिए सरकार और नकारा सिस्टम से एक और लडाई लडनी पड़ रही है।
हरिशमा ने अब कर्मचारियों की लापरवाही तथा गैरजिम्मेदाराना रवैये से तंग आकर अपनी इस पीड़ा से पुरोला के युवा उर्जावान तेजतर्रार कर्तव्यनिष्ठ उपजिला अधिकारी पूर्ण सिंह राणा को पत्र लिखकर अवगत कराया है।
स्नातक करने साथ ही हरिशमा ने मोरी आईटीआई से सिलाई कढ़ाई प्रशिक्षण में डिप्लोमा भी किया है।हरिशमा कहती है कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में मामा लोगों तथा मेरे जीजा शंकर राणा का बहुत बड़ा सहयोग है।
उपजिला अधिकारी को लिखे शिकायती पत्र में हरिशमा ने अवगत करवाया है कि किस तरह सक्षम सम्पन्न लोग गरीब असहाय तथा निराश्रित पात्र लोगों का अधिकार और हक छीन रहें है। निराश्रित हरिशमा का कहना है कि उसने जब राशन कार्ड बनाने के लिए आवेदन किया तो ब्लाक के अधिकारियों ने उन्हें बीपीएल राशन कार्ड की जगह एपीएल का राशन कार्ड थमा दिया जबकि वह बीपीएल श्रेणी में आती है।
इतना ही नहीं राशन विक्रेता ने उन्हें राशन देना भी उचित नहीं समझा। गांव में सक्षम लोग ही बीपीएल और अन्त्योदय योजना का लाभ उठा रहें है। गरीबों से उनका हक छीन कर सम्पन्न तथा सक्षम अपात्र लोगों द्वारा बीपीएल तथा अन्त्योदय योजना का लाभ उठा रहें है तथा राशन विक्रेता गरीबों और असहाय लोगों के हिस्से का राशन बेच रहे हैं। जिसकी जांच होनी चाहिए।