कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने गंगा में गिरने वाले बिना ट्रीटमेंट के 65 ड्रेन को सीज करने अथवा उन्हें डायवर्ट करने के निर्देश दिए हैं।
साथ ही न्यायालय ने नालों के ट्रीटमेंट को निर्धारित समय मे पूरा करने को कहा है। कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार “इन री इन दा मैटर ऑफ सुओमोटो कौगनिजेन्स रिगार्डिंग कंटैमिनेशन ऑफ वाटर ऑफ रिवर गंगा” के नाम से इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई हुुई।
याचिका में कहा गया था कि गंगा के उदगम स्थल से हरिद्वार तक गंगा में सैकड़ों नाले गिरते हैं, जिनके दूषित पानी से गंगा प्रदूषित हो गई है। कोर्ट के पूर्व में जारी आदेश के क्रम में राज्य के पेयजल सचिव ने शपथपत्र देकर बताया कि गंगा के उदगम स्थल से हरिद्वार तक गंगा के किनारे के छोटे कस्बे, नगर निगम और कुछ अन्य गॉव भी है। इसके अलावा कई सहायक नदियां ही गंगा में मिलती है। जिनका पानी दूषित होता है। साथ ही कहा गया है कि गंगा और उनकी सहायक नदी में गिरने वाले 135 नालों में से 70 नालों का बहाव गंगा एक्शन प्लान फेज 1 और 2 के तहत रोक दिया है। बाकी 65 नालों को इंटरकैप्शन डायवर्सन एंड ट्रीटमेंट एंड एस.टी.पी. जो कि नेशनल मिशन फ़ॉर क्लीन गंगा के अंतर्गत ट्रीटमेंट किया जा रहा है। कोर्ट ने हरिद्वार के 72 घाटों के सफाई के लिए टेंडर प्रक्रिया 21 दिनों के भीतर पूरा करने को कहा है। साथ ही ऋषिकेश, मुनि की रेती, कीर्तिनगर, श्रीकोट, गंगनाली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, नंद प्रयाग, जोशीमठ, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी के बिना ट्रीटमेंट के गंगा में गिरने वाले नालों को निर्धारित समय में पूरा करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि इन सभी कार्य को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के साथ मार्च 2020 तक को पूरा कर लिया जाए। कोर्ट ने सभी जिलो के डी.एम.को इन आदेशों के पालन की जिम्मेदारी दी है । साथ ही राज्य के पेयजल सचिव को इन आदेशों के पालन के लिए नोडल ऑफिसर नियुक्त किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को निस्तारित कर दिया है।