विगत कुछ दिनों से सूबे के उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत अपने क्षेत्र में सड़क के एक विरोध के कारण सुर्खियों में हैं। पहले दिन से ही 120 की स्पीड से दौडऩे वाले धन सिंह रावत और गणेश गोदियाल दो विधानसभा चुनाव एक दूसरे के विरुद्ध लड़े हैं तो लोगों ने कयास लगाने शुरू कर दिए कि धन सिंह का विरोध गणेश गोदियाल के इशारे पर हुआ, किंतु असल बात यह है कि इस घटना से गणेश गोदियाल का कोई लेना-देना नहीं था। धन सिंह रावत तो अमित शाह और नरेंद्र मोदी के कांग्रेसमुक्त भारत अभियान को और आगे बढ़ाना चाह रहे हैं।
शुक्रवार 19 अप्रैल को जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत थाईलैंड से लौट रहे थे तो देहरादून हवाई अड्डे पर उन्हें रिसीव करने गए प्रोटोकॉल मंत्री धन सिंह रावत को हवाई अड्डे पर गणेश गोदियाल मिल गए, जो मुंबई जाने के लिए फ्लाइट का इंतजार कर रहे थे। चूंकि तब तक त्रिवेंद्र सिंह रावत की फ्लाइट भी नहीं पहुंची थी तो दोनों प्रतिद्वंदियों ने तब तक आपस में बातचीत कर एक दूसरे को जानने-समझने की कोशिश की। बातों-बातों में गणेश गोदियाल ने धन सिंह रावत से पूछा कि पौड़ी लोकसभा से किसे तैयारी करवा रहे हैं तो धन सिंह रावत ने गणेश गोदियाल को कहा कि आप भाजपा में शामिल हो जाओ, आपको ही लड़ा देंगे। धन सिंह ने बताया कि किस प्रकार कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने के बाद आज बड़े पदों पर तैनात हैं, जो आपको कांग्रेस में रहते नहीं मिला, उससे कहीं अधिक मान-सम्मान मिलेगा। दोनों लोगों के बीच चल रही बातचीत के बीच तब दिल्ली से लौट रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी चर्चा में शामिल हो गए। धन सिंह रावत ने हरीश रावत से पूछा कि वे कहां से लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं तो हरीश रावत ने चिर-परिचित अंदाज में बातों को इधर-उधर घुमाना शुरू कर दिया।
हरीश रावत ने गणेश गोदियाल को खुश करने के लिए धन सिंह की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि उन्हें मालूम होता कि गणेश गोदियाल के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले धन सिंह इतने धनवान हैं तो वो गोदियाल के लिए कुछ और रणनीति बनाते। हरीश रावत की इस बात पर गणेश गोदियाल ने हरीश रावत को बताया कि उन्होंने अभी तक राठ का पानी समझा नहीं है। राठी लोग जिस पर हाथ रखते हैं, वो कहीं से कहीं पहुंच जाता है। फिर उन्होंने स्वयं के खिलाफ लडऩे वाले धन सिंह रावत के पहली बार में ही विधायक बनकर मंत्री बनने, रमेश पोखरियाल निशंक के मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक के तमाम उदाहरण देकर हरीश रावत को एहसास कराया कि उन्होंने वास्तव में चुनाव में श्रीनगर विधानसभा सीट से गोदियाल की मदद नहीं की।
इस बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के जहाज लैंडिंग की खबर आई तो धन सिंह रावत ने फिर दोनों नेताओं को अपना प्रस्ताव दोहराया कि दोनों के लिए भाजपा के दरवाजे खुले हैं। जितनी जल्दी निर्णय हो जाए, अच्छा है। गणेश गोदियाल तो धन सिंह प्रस्ताव को आखिर तक नकारते रहे, किंतु धन सिंह ने उन्हें समझाया कि यह राजनीति है, यहां कुछ भी संभव है।
इस बातचीत के कार्यक्रम से एक दिन पहले हरीश रावत काबीना मंत्री हरक सिंह रावत के बेटे के विवाह समारोह से शामिल होकर लौटे। किसी को यकीन नहीं था कि हरीश रावत हरक सिंह रावत के बेटे की शादी में शामिल हो सकते हैं। राजनैतिक पंडितों की गणित इन विषयों पर यह कहती है कि हरीश रावत को हरक सिंह पर आज भी भरोसा है कि यदि वे उनको अपदस्थ करने की हिम्मत रख सकते हैं तो किसी दूसरी सरकार को भी गिराने की क्षमता हरक सिंह में है। बर्फ पिघलाने के लिए हरीश रावत की यह पहल कितना काम करती है, यह अभी समय के गर्भ में है।
वन विभाग द्वारा पौराणिक बिन्सर मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य को पुन: आरंभ कराने व मंदिर परिसर की भूमि को मंदिर समिति को हस्तांतरण करवाने के संदर्भ में इससे एक दिन पहले गणेश गोदियाल हरक सिंह रावत को बधाई दे चुके थे।
देखना है कि दोनों ओर से चल रही यह कशमकश 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले धरातल पर उतरती है या 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले।