भूपेंद्र कुमार,देहरादून
बाकायदा सूचना के अधिकार इस तथ्य का खुलासा हुआ है कि देहरादून में जिला सूचना अधिकारी रहे अजय मोहन सकलानी ने खुद को सक्रिय आंदोलनकारियों की श्रेणी में शामिल करा लिया है।
देहरादून के पत्रकार राजकुमार गोयल द्वारा सूचना के अधिकार में यह जानकारी मांगी गई तो पता चला कि जो आंदोलन कारियों की श्रेणी में क्रमांक 2238 पर अजय मोहन सकलानी पुत्र स्वर्गीय श्री फूलचंद्र सकलानी ग्राम व पोस्ट कौलागढ़ देहरादून का नाम सक्रिय राज्य आंदोलनकारियों की श्रेणी में शामिल है।
राज्य आंदोलनकारी चिन्हांकित करने वाली समिति ने अपनी टिप्पणी में लिखा है कि प्रार्थी ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान सक्रिय रुप से आंदोलन में भाग लेने के संबंध में अपने साक्ष्य के रूप में विभिन्न समाचार पत्रों की कटिंग प्रस्तुत की है, जिसमें इनका नाम अंकित है। जिला स्तरीय सलाहकार समिति के गैर सरकारी सदस्यों द्वारा भी उत्तराखंड आंदोलन में भाग लेने की पुष्टि बैठक में की गई है, जबकि 1 दिसंबर 2017 को उत्तराखंड शासन के प्रमुख सचिव आनंदवर्धन ने एक शासनादेश जारी किया था कि मात्र समाचार पत्रों की कतरन के आधार पर राज्य आंदोलनकारियों का चिन्हांकन नहीं किया जा सकता है।
इस संवाददाता ने सूचना के अधिकार में मिले साक्ष्यों सहित जिलाधिकारी देहरादून को एक पत्र लिखकर कहा है कि राजकीय सेवा में रहते हुए अजय मोहन सकलानी का सक्रिय आंदोलनकारी होना उनकी सरकारी सेवा के प्रति निष्ठा को संदेह प्रदान करता है।
इस संवाददाता ने राज्य तथा जनहित में अजय मोहन सकलानी के राज्य आंदोलनकारी होने संबंधी जांच करवाने तथा सेवानिवृत्ति के पश्चात उनको मिलने वाले लाभ आदि जांच होने तक रोकने के लिए भी सुझाव दिया है। जिलाधिकारी ने इस पर जांच के आदेश भी कर दिए हैं।
यूं तो उत्तराखंड आंदोलन में बच्चे बूढ़े सरकारी गैर सरकारी समाज के सभी वर्गों का योगदान था।
जब उत्तराखंड आंदोलनकारी जुलूस निकालते हुए सरकारी कार्यालय बंद कराने के लिए आते थे तो कर्मचारी अधिकारी भी खुशी खुशी अपने दफ्तर के बाहर निकल आते थे, किंतु सरकारी अधिकारियों द्वारा खुद को उत्तराखंड आंदोलनकारी की श्रेणी में शामिल कर लेने का उदाहरण आपने शायद ही कहीं सुना होगा, क्योंकि सक्रिय आंदोलनकारी की श्रेणी में शामिल होने का दावा करते ही उन पर कर्मचारी आचरण सेवा नियमावली के उल्लंघन की तलवार गिरने का पूरा पूरा चांस है।
आंदोलन के दौरान भी यदि पता चल जाता कि कोई सक्रिय रुप से आंदोलन में भागीदारी कर रहा है तब भी उन पर कार्यवाही होनी तय थी।