मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टोलरेंस की नीति पर अभी अंतिम परिणाम आना बाकी है।
सरकार द्वारा कड़ा रुख अपनाने के बाद दोनों अधिकारी आज जबकि एसआईटी जांच का सामना करने का वक्त आया तो दोनों लंबी छुट्टी चले गए। दोनों आईएएस अधिकारियों द्वारा ऐन वक्त पर लंबी छुट्टी चले जाने के बाद संदेह के बादल और गहरा गए हैं कि यदि दोनों आईएएस अधिकारी पाक साफ हैं तो दोनों को जांच में सहयोग करने की बजाय अचानक क्यों लंबी छुट्टी जाना पड़ा।
इस बीच पंकज कुमार पांडे और चंद्रेश यादव द्वारा केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ-साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत और मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह से मुलाकात की खबरें भी आई, किंतु सूत्रों के अनुसार दोनों अधिकारी अपने बचाव में कानूनी राय के साथ-साथ राजनैतिक बचाव का रास्ता ढूंढने में निकले हैं। देखना है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुके इस एनएच-७४ जांच का अब क्या अंजाम निकलता है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की बॉडी लैंग्वेज से तो संदेश यही है कि वे अपने आप को भ्रष्टाचार के मसले में जीरो टोलरेंस वाला मुख्यमंत्री साबित करने का यह अवसर गंवाना नहीं चाहते।
मुख्यमंत्री बनने के बाद पहले दिन से ही ३०० करोड़ रुपए के बहुचर्चित एनएच-७४ घोटाले को लेकर मुखर रहे त्रिवेंद्र रावत तमाम प्रयासों के बावजूद इस घोटाले की सीबीआई जांच कराने में नाकाम रहे। हालांकि विधानसभा में उन्होंने जवाब दिया था कि इस घोटाले की सीबीआई जांच की संस्तुति को स्वीकार कर लिया गया है, किंतु बाद में तमाम तरह के दबाव के बाद सीबीआई ने हाथ पीछे खींच लिए। तब से लेकर आधा दर्जन पीसीएस अधिकारी व तमाम तहसीलदार, पटवारी सहित कुल २२ लोग जेल जा चुके हैं।
एसआईटी द्वारा इस घोटाले की की गई जांच के बाद जो तथ्य निकलकर आए, उसके अनुसार इस घोटाले के दौरान ऊधमसिंहनगर के जिलाधिकारी रहे पंकज कुमार पांडे और चंद्रेश यादव की भूमिका संदिग्ध मानी गई। एसआईटी ने दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत होने के बाद मामला केंद्र में डीओबीटी को भेजा, जिसके बाद केंद्र से दोनों आईएएस अधिकारियों से पूछताछ को हरी झंडी मिल गई।
ऐन वक्त पर अधिकारियों के इस प्रकार छुट्टी पर चले जाने पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिक्रिया भी आई है। त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि छुट्टी की भी एक सीमा होती है और जिस प्रकार अन्य अधिकारी-कर्मचारियों, किसानों ने जांच में सहयोग किया है, इन दोनों अधिकारियों को भी जांच में सहयोग करना चाहिए।