केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर के तत्कालीन कुलपति जे एल कौल की सीबीआई जांच शुरू हो गई है। देहरादून के सीबीआई कार्यालय ने तत्कालीन कुलपति की CBI जांच के संबंध में केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपतियों सहित निजी विश्वविद्यालयों का इंस्पेक्शन करने वाले तमाम प्रोफेसरों को भी अपने कार्यालय में तलब कर दिया है।
सीबीआई की इस कार्यवाही से प्रोफेसरों तथा अन्य अधिकारियों में हड़कंप मच गया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 से 17 के बीच ये प्रोफेसर केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न कॉलेजों और इंस्टिट्यूटों के इंस्पेक्शन के लिए तैनात किए गए थे।
इन प्रोफेसरों ने देहरादून के विभिन्न कॉलेजों द्वारा चलाए जा रहे कोर्सों और नए कोर्सों की स्वीकृति के लिए इन कॉलेजों का इंस्पेक्शन किया था।
गौरतलब है कि देहरादून के इन कॉलेजों के इंस्पेक्शन करने में तथा नए कोर्सों तथा सीटों को बढ़ाने में व्यापक तौर पर गड़बड़ियां सामने आई थी। इन गड़बड़ियों के चलते जे एल कौल को बर्खास्त कर दिया गया था। अब सीबीआई का शिकंजा इन कॉलेजों का इंस्पेक्शन करने वाले प्रोफेसरों की कमेटियों में शामिल प्रोफेसरों पर भी कसने जा रहा है।
8 अगस्त को देहरादून के सीबीआई ने कुलसचिव ए के झा, संजय ध्यानी( सहायक कुलसचिव) और एके मोहंती और मायाराम नौटियाल को कार्यालय में तलब किया है। यह लोग क्रमशः 21 मई तथा 24 अगस्त को सीबीआई कार्यालय में हाजिर होकर अपना पक्ष रखेंगे।
साथ ही देहरादून के कॉलेजों को नए विषयों की संबद्धता देने वाले प्रोफेसरों को भी जांच अधिकारियों के सम्मुख हाजिर होने के लिए तारीखें तय कर दी गई हैं। इन प्रोफेसरों ने देहरादून के अल्पाइन इंस्टिट्यूट, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, उत्तरांचल कॉलेज, दून PG कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, दून वैली कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बाबा फरीद इंस्टीट्यूट, आदि कॉलेजों का निरीक्षण करके इनमें नए विषयों की मान्यता सहित तमाम स्वीकृतियां दी थी। सीबीआई एंटी करप्शन ब्रांच के डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस अनिल चंदोला ने इन सभी को जांच अधिकारियों के सम्मुख हाजिर होने के लिए तारीख तय करके पत्र भेज दिया है। सभी को 27 अगस्त से लेकर 7 सितंबर तक की तारीखें दी गई हैं।
सीबीआई जांच शुरू होने के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों सहित मान्यता पाने वाले निजी कॉलेजों में भी हड़कंप मचा हुआ है।
देखना यह है कि सीबीआई जांच का क्या परिणाम आता है तथा कुलपति कौल की कुर्सी खाने के बाद और किन-किन प्रोफेसरों और अन्य अधिकारियों पर यह गाज गिरती है।