स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी के अस्थि विसर्जन की तैयारियों को को दरकिनार कर राजनीतिक श्रेय के लिए भले ही सरकार के मंत्री आपस में लड़ते रहे हों, लेकिन अफसरों ने इसे अपने कंधों पर संभाल लिया।
ऐन मौके पर कार्यक्रम आयोजन का स्थल बदल जाने से रातों-रात शासन-प्रशासन के सामने परिवर्तित कार्यक्रमानुसार तैयारियां चाक-चौबंद करने के लिए मानो चुनौतियां का पहाड़ आ खड़ा हुआ था। लेकिन चुनौतियां हैं तो अवसर हैं। अधिकारियों ने रातोंरात सारी तैयारियां चाक-चौबंद करके अपनी कार्य क्षमता को साबित भी कर दिखाया।
दरअसल हुआ था कि जब 19अगस्त के कार्यक्रम को लेकर 18की शाम को अफसरों को तैयारी के लिए कहा गया तो कार्यक्रम में शामिल होने वाले वीवीआईपी अतिथियों की सुरक्षा से लेकर ठहरने आदि की व्यवस्थाओं को दुरस्त करने का जिम्मा अफसरों के कंधे पर आन पड़ा।
जब विशिष्ट अतिथियों को ठहराने के लिए आवास ग्रहों की पड़ताल की गई तो पता चला कि डाम कोठी स्थित आवास काफी पुराना है और बरसात में टपक रहा है यहाँ फिर अतिथियों को ठहराया जाना उचित नहीं होगा तो जिलाधिकारी हरिद्वार दीपक रावत ने रातों-रात कुंभ मेला निधि से नवनिर्मित भवन को अधिग्रहित कर लिया यह भवन लगभग एक साल से बंद पड़ा था। इसमें बिजली पानी से लेकर कोई भी सुविधाएं नहीं थी।
जिलाधिकारी हरिद्वार ने यह भवन अधिग्रहित कर राज्य संपत्ति विभाग को सौंप दिया, ताकि इसे अतिथियों को ठहराने की उपयुक्त बनाया जा सके।
भवन का अस्थाई नियंत्रण आने के बाद सचिव राज्य संपत्ति विनय शंकर पांडे ने राज्य संपत्ति विभाग के मुख्य व्यवस्था अधिकारी(सीनियर ग्रेड) रविंद्र पांडे को तत्काल इसे दुरुस्त करने के निर्देश जारी कर दिए।
रविंद्र पांडे ने अपनी टीम के साथ रातों-रात इस भवन में बिजली पानी से लेकर सभी कमरों को अति विशिष्ट अतिथियों के रहने लायक बना दिया। कमरों की साज-सज्जा देखकर किसी को अंदाजा भी ना हुआ यह व्यवस्था रातों-रात तैयार की गई है।
SDM मनीष कुमार ने तमाम अति विशिष्ट अतिथियों की सुरक्षा के मद्देनजर सभी प्रशासनिक तैयारियां सुनिश्चित कर दी।
लगातार वैन्यू बदलते रहने तथा इससे संबंधित अनिश्चितता के कारण इन अधिकारियों के पास अहम् तैयारियां करने के लिए मात्र रात भर का ही समय उपलब्ध था, किंतु इन सभी ने वाकई कठिन परिश्रम करके सरकार की नाक नीची नहीं होने दी।