उत्तरकाशी में एक बच्ची की गैंगरेप के बाद निर्मम हत्या के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बीस शब्दों की जो अपील जारी की, उस अपील की चौतरफा आलोचना हो रही है और सोशल मीडिया पर लोग इस अपील का अपने-अपने ढंग से व्याख्या करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत को कोस रहे हैं। मुख्यमंत्री ने इस अपील में बलात्कारियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्यवाही और बाहरी मजदूरों के सत्यापन की बात कही थी, किंतु ये दोनों बातें उनके पूर्व के बयानों और कार्यवाहियों से एकदम विपरीत हैं। मुख्यमंत्री की इस पोस्ट पर अब तक 587 कमेंट आ चुके हैं और सिर्फ 2 कमेंट को छोड़कर बाकी सारे कमेंट मुख्यमंत्री की इस Facebook अपील की आलोचना से ओतप्रोत है। यह पोस्ट 174 बार शेयर की जा चुकी है तथा 1100 लोगों ने इस पर इमोजी के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। यदि मुख्यमंत्री स्वयं इन कमेंट्स को पढ़ लेंगे उन्हें उत्तराखंड के लिए उठाए जाने वाले कदमों की सही दिशा मिल जाएगी।
गले पड़ गया फांसी वाला बयान
12 जुलाई 2018 को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और उनके सहयोगी जोर-शोर से प्रचार करते दिखाई दिए कि उत्तराखंड में अबोध बच्चियों के साथ बलात्कार करने वाले को फांसी की सजा दी जाएगी। त्रिवेंद्र रावत ने इसके लिए बकायदा एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उत्तराखंड देश का ऐसा पहला राज्य होने जा रहा है, जहां बच्चियों से बलात्कार पर फांसी दी जाएगी। कई दिनों तक त्रिवेंद्र रावत के पक्ष में बनाए गए एक दर्जन पेजों और तमाम सोशल मीडिया एकाउंट में यह बात खूब प्रचारित-प्रसारित की गई।
इस बीच उत्तरकाशी जनपद में शुक्रवार की शाम को हुई १४ वर्ष की नाबालिग बच्ची के साथ वीभत्स गैंगरेप के बाद हत्या के बाद जब मुख्यमंत्री का पहला बयान आया तो तमाम लोग सकते में आ गए कि अचानक मुख्यमंत्री का वह रूप कहां चला गया, जिसमें वे कुछ दिन पहले ऐसे बलात्कारियों को फांसी देने की बात कह रहे थे।
उत्तरकाशी की वीभत्स घटना पर त्रिवेंद्र सिंह रावत का बयान शर्मशार करने वाला रहा। जिसमें उन्होंने कहा कि मैं विश्वास दिलाता हूं कि इस घटना में जो भी दोषी होंगे, उन्हें कठोर से कठोर सजा दिलाई जाएगी।
त्रिवेंद्र रावत द्वारा अब फांसी की बात से किनाराकशी करने पर सोशल मीडिया में उनकी जमकर आलोचना हो रही है और लोग उनसे पूछ रहे हैं कि कठोर से कठोर सजा का क्या मतलब। क्या मुख्यमंत्री अब ऐसे बलात्कारियों को फांसी की सजा देने के अपने पुराने बयान से मुकर गए हैं?
असलियत मे अवैध कालोनियों पर अध्यादेश, अपील मे मजदूरों के सत्यापन का बयान
उत्तरकाशी की इस घटना के बाद मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेशभर में सभी ठेकेदारों या काम करने वाले कामगारों के वैरिफिकेशन हेतु जिलाधिकारियों को आदेश देने की बात से भी उनकी खूब आलोचना हो रही है कि जिस मुख्यमंत्री ने लाखों बाहरी लोगों का बिना वैरिफिकेशन किए तीन साल तक उनकी अवैध बस्तियों को बचाने का अध्यादेश लेकर आए, अब इस घटना के बाद वे किस मुख से वैरिफिकेशन की बात कह रहे हैं।
बहरहाल, उत्तरकाशी की घटना पर मुख्यमंत्री का लीपापोती वाला बयान तब और दर्दनाक हुआ, जब सरकार का कोई भी कारिंदा उत्तरकाशी जाने की बजाय हरिद्वार में स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन के कार्यक्रम में सैल्फी खिंचवाने में मगन रहा। देखना है कि इस वीभत्स गैंगरेप और हत्या के आरोपियों को अब त्रिवेंद्र रावत सरकार फांसी दिला भी पाती है या फिर वही कठोर से कठोर कार्यवाही की बात कहकर किनाराकशी कर लेती है।