पर्वतजन न्यूज़ पोर्टल द्वारा लोक गायक पवन सेमवाल के “उत्तराखंड जागी जावा” नामक गाने पर कवरेज करने के बाद से सोशल मीडिया तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर धूम मचा रहे इस प्रकरण पर भले ही अखबारों को सांप सूंघ रखा हो किंतु सरकार इस गाने को लेकर बुरी तरह झेंप गई है।
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सरकार को लगता है कि इस गाने के बाद कहीं त्रिवेंद्र सरकार का भी नामकरण न हो जाए। जिस तरह से सोशल मीडिया में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फेंकू, कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को पप्पू कहकर चुटकियां ली जाती है कहीं इसी तरह लोग उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को भी झांपू न कहने लग जाएं।
गाने के बाद बुरी तरह बौखलाई सरकार के सलाहकारों ने पहले दुबई के एक सामाजिक कार्यकर्ता को उकसाने वाले अंदाज में फोन पर हमदर्दी जताते हुए सलाह दी कि वह लोक गायक पवन के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करें। मुख्यमंत्री के ओएसडी पारितोष सेठ ने बाकायदा अपनी फेसबुक वॉल पर इस गाने के खिलाफ गायक और पत्रकारों पर मुकदमा करने की बात बेहद ही सस्ती भाषा का प्रयोग करते हुए लिख डाली तो देवेंद्र भसीन ने भी लोक गायक को मानहानि का मुकदमा दर्ज कराने की चेतावनी दे डाली।
सीएम के ओएसडी पारितोष “सेठ” का “दिवालियापन”
सरकार के शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने भी कहा कि वह गाने में प्रयुक्त आपत्तिजनक शब्दों के लिए मानहानि का मुकदमा करने हेतु कानूनी सलाह ले रहे हैं। इस बीच रोशन रतूड़ी ने अपनी फेसबुक वॉल पर एक के बाद एक वीडियो अपलोड करते हुए सरकार की पोल खोल डाली और साफ किया कि उनको “मानहानि का मुकदमा करने के लिए मुख्यमंत्री के सलाहकार रमेश भट्ट और देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने काफी दबाव डाला लेकिन वह मानहानि का कोई नोटिस लोक गायक को नहीं भेजेंगे।”
रोशन रतूड़ी ने Facebook पर अपलोड एक वीडियो के माध्यम से स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा है कि लोक गायक को नोटिस के माध्यम से परेशान किया जाए लेकिन वह बिल्कुल भी ऐसा कोई कार्य नहीं करेंगे। गौरतलब है कि लोक गायक पवन सेमवाल ने विदेश में रोशन रतूड़ी द्वारा किए जा रहे सराहनीय कार्यों का अपने गाने में जिक्र करते हुए यह भी कह दिया था कि अगर राज्य नहीं संभल रहा तो रोशन रतूड़ी को मुख्यमंत्री बना दो।
मुख्यमंत्री वर्तमान में निवेशकों से मुलाकात के सिलसिले में सिंगापुर के दौरे पर हैं। मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा भी कि “जिनका जो काम है वह अपना काम कर रहे हैं।”
ऐसे में अहम सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री के सलाहकारों और प्रवक्ताओं को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ही लोक गायक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात कही थी अथवा यह सब लोग अपने अनुसार ही बयान बाजी कर रहे हैं ! हकीकत चाहे जो भी हो लेकिन यह साफ है कि यदि इस मसले पर लोक गायक पवन सेमवाल को नोटिस दिया गया तो यह मुद्दा अभी कुछ और दिन तक मीडिया की सुर्खियां बना रहेगा।
सरकार की इस बौखलाहट को संगीत के प्रति इनटॉलेरेंस (असहिष्णुता) के रुप में भी देखा जा रहा है। इस गाने में झांपू शब्द को मुख्यमंत्री पर व्यक्तिगत प्रहार के रूप में लिया जा रहा है, किंतु लोक गायक पवन सेमवाल का कहना है कि वह किसी भी तरह की कानूनी कार्यवाही का सामना करने के लिए तैयार हैं।
पवन सेमवाल कहते हैं कि उन्होंने “वही लिखा, जिस तरह का राजकाज राज्य में देखा जा रहा है, बलात्कार हो रहे हैं लेकिन फांसी की सजा देने की बात जुमला साबित हो रही है, पलायन रोकने के लिए बना पलायन आयोग खुद ही पलायन कर गया है और गांव और भी अधिक तेजी से खाली हो रहे हैं ऐसे में अकर्मण्य सरकार को झांपू नहीं तो और क्या कहेंगे !”
पवन सेमवाल सवाल उठाते हैं कि इस राज्य में भाजपा की सरकार है, यहां पर मुख्यमंत्री सहित 8 कैबिनेट मंत्री तथा दो राज्यमंत्री से सरकार का गठन हुआ है। साथ ही भाजपा के 57 विधायक भी सरकार में शामिल हैं। शेष दो निर्दलियों का भी सरकार को समर्थन है। इसके अलावा कांग्रेस के 11 विधायक विपक्ष में हैं। जब इतनी भारी भरकम संख्या के बावजूद प्रदेश के मुख्यमंत्री तथा उनके सलाहकार वर्तमान सरकार को भाजपा सरकार अथवा उत्तराखंड सरकार कहने के बजाय सिर्फ टीएसआर सरकार और त्रिवेंद्र सरकार कहते हैं तो फिर अक्षमता और अयोग्यता का ठीकरा भी उन्हें व्यक्तिगत तौर पर ही भुगतना चाहिए।
” जब श्रेय लेना हो तो सरकार को त्रिवेंद्र सरकार और टीएसआर सरकार कहा जाता है और जब सरकार पर आलोचना हो तो उसे व्यक्तिगत हमला और साजिश करार देना मुख्यमंत्री तथा उनके प्रवक्ताओं और सलाहकारों की बुद्धिहीनता को दर्शाता है।” हालांकि पवन सेमवाल यह भी जोड़ते है कि उनका उद्देश्य सीएम की मान हानि करना नही है। वह सीएम को ठेस पहुंचने पर खेद जताना भी नही भूलते।
बहरहाल इतना तो तय है कि यदि बात बढ़ती है तो उत्तराखंड का बुद्धिजीवी वर्ग सरकार की इस कार्यवाही के खिलाफ खड़ा हो सकता है, जिसका सरकार की छवि पर नकारात्मक असर पड़ना तय है। देखना यह है झांपू प्रकरण में लोक गायक और पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बयान बाजी कर चुके कारिंदे अब क्या नया गुल खिलाते हैं !