सिंचाई कर्मचारियों के पेंशन मामले में डेढ़ साल में पत्रावली पर सुझाव लेने की शासन ने नहीं उठायी जहमत।
मुख्य सचिव, न्याय विभाग, महाधिवक्ता, वित्त सभी से ली गयी राय
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों पर भी बरती गयी उदासीनता।
सेवानिवृत्त कर्मचारी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर।
देहरादून। जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जीएमवीएन के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि सूबे के काबीना मंत्री सतपाल महाराज ने जब से सिंचाई विभाग का जिम्मा संभाला है, तब से डेढ़ साल के कार्यकाल में शासन के निकम्में/भ्रष्ट अधिकारियों ने विभागीय मंत्री को वर्कचार्ज व अन्य प्रकार से 30-35 वर्ष तक सेवा करने के उपरान्त सेवानिवृत्त सिंचाई कर्मचारियों को पेंशन मामले में पत्रावली के दर्शन तक नहीं कराये। यानि महाराज को पता ही नहीं है कि इन कर्मचारियों का मामला क्या है तथा इस मामले में विभाग क्या कर रहा है!
रघुनाथ नेगी ने कहा कि इन कर्मचारियों के पेंशन मामले में दो बार सुप्रीम कोर्ट व पांच बार हाईकोर्ट आदेश दे चुका है, लेकिन शासन के विभागीय अधिकारियों ने पत्रावली पर सभी विभागों से राय लेकर ऊपर से नीचे तक चकरघिन्नी बना रखी है, लेकिन कभी भी अपने विभागीय मंत्री से परामर्श/सुझाव/निर्देश लेने की जहमत नहीं उठायी। अधिकारियों ने इन मामलों में लाखों रुपया पानी की तरह अपनी मनमर्जी से बहा दिया, लेकिन कर्मचारियों को पेंशन देने को तैयार नहीं है।
नेगी ने कहा कि न्यायालय के आदेशों को निष्प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने अपै्रल 2018 में सेवानिवृत्त लाभ विधेयक पास कर दिया, लेकिन आज विभाग उक्त विधेयक को पास कराने के उपरांत भी न्यायालय के आदेशों को लेकर दुविधा में है, लेकिन कोई भी अधिकारी विभागीय मंत्री से परामर्श लेने की जहमत नहीं उठा रहा है। अधिकारियों ने न्यायालय की अवमानना से बचने के लिए दो मामलों में (8+ 8) 16 कर्मचारियों को पेंशन के आदेश पारित कर दिये, लेकिन सैकड़ों कर्मचारियों की समानान्तर याचिका वाले मामले (एक ही मैरिट के) में अधिकारी रोड़ा अटकाने में लगे हैं। मोर्चा ने तर्क देते हुए कहा कि जब अधिकारी ही मंत्री जी को नहीं पूछ रहे हैं तो इससे बेहतर तो यह है कि आप सत्संग में ध्यान लगाएं।