कुलदीप एस. राणा
उत्तराखंड में इन दिनों भाजपा सरकार के मंत्रियों के रिश्तेदारों की पौ बारह हो रखी है। किसी नेता की पत्नी हो या किसी की भांजी , किसी का बेटा तो किसी भाई , सब अपने अपने रिश्तेदारों की जुगत भिड़ाने में लगे हुए हैं।
ताजा मामला कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक व उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के ऋषिकुल परिसर में कार्यरत उनकी भतीजी की सासु माँ प्रोफेसर कल्पना शर्मा के रिटायरमेंट से जुड़ा है।
भतीजी की सास होने के नाते कल्पना शर्मा रिश्ते में मदन कौशिक की समधन हुई। दरअसल कल्पना शर्मा का रिटायरमेंट उनकी अधिवर्षता आयु पूर्ण होने पर 31 मार्च 2017 को होना था। जिस पर शासन ने नियमानुसार सत्रांत का लाभ देते हुए उसे 30 जून तक आगे बढ़ा दिया था
कहा जा रहा है कि इसी बीच मदन कौशिक सरकार के समक्ष ऋषि कुल परिसर में शिक्षकों की कमी का मुद्दा उठाकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कैबिनेट के माध्यम से आयुष शिक्षकों की रिटायरमेंट की आयु सीमा को 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करवा दिया।
गौरतलब है कि 28 जून 2017 को हुई कैबिनेट के उक्त निर्णय का शासनादेश अगले ही दिन 29 जून 2017 को जारी कर दिया गया। शासनादेश जारी करने में दिखायी गयी यह तेजी सम्बंधित प्रकरण को कटघरे में खड़ा कर रही थी। क्योंकि 30 जून को रिटायरमेंट वाले दिन ही प्रोफेसर कल्पना शर्मा द्वारा उक्त शासनादेश का लाभ दिए जाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर दिया।
नियमानुसार कल्पना शर्मा 31 मार्च को ही अपनी अधिवर्षता आयु पूर्ण कर चुकीं थीं, जिस पर विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव डॉ अनूप गक्कड़ ने उक्त प्रकरण पर स्थिति स्पष्ट करने हेतु फाइल शासन में भेज दी।
शासन ने कल्पना शर्मा प्रकरण पर 65 वर्ष आयु सीमा का लाभ दिए जाने पर असहमति जता दी।
इसी दौरान शासन में अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल हो गए और कल्पना शर्मा को लाभ मिल गया ।
उक्त प्रकरण पर जब पर्वतजन ने डॉ कल्पना शर्मा से उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने संवाददाता पर बिफरते हुए कहा कि आपको जो कुछ भी पूछना है शासन से पूछिए, मंत्री जी से रिश्तेदारी होना क्या कोई गुनाह है ! शासनादेश के कारण ही मुझे भी लाभ दिया गया है अगर यह लाभ मुझे नहीं दिया जाता तो मैं अपने हक के लिए कोर्ट का दरवाजा तक खटखटा। देती इस प्रकरण के कारण मुझे लेकिन लंबे समय तक प्रताड़ित भी किया गया और मेरा वेतन रोक दिया गया
कल्पना शर्मा से जब यह पूछा गया कि संबंधित प्रकरण पूर्व में शासन के एक अधिकारी ने तकनीकी कारणों से उन्हें यह लाभ नहीं दिया जा सकता कहकर असहमति दी थी जिस पर कल्पना शर्मा का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारी ने मेरे संदर्भ में आदेश जारी किया है आगे मुझे कुछ नहीं कहना है।
यह सवाल उठना लाजमी है कि सरकार महत्वपूर्ण विभागों में रिटायरमेंट की आयु सीमा 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने को लेकर तो निर्णय नहीं ले पा रही है लेकिन संबंधित प्रकरण में शासन के अधीनस्थ अधिकारियों की राय को दरकिनार कर लिया गया निर्णय सरकार के मंत्रियों को खुद ही कटघरे में खड़ा कर रहा है।
उक्त प्रकरण पर जब मदन कौशिक जी का पक्ष जानने के लिए उनसे फोन पर सम्पर्क किया गया तो उनके पीए ने मीटिंग में व्यस्तता के हवाला देते हुए कुछ समय बाद वापस कॉल करने की बात कह फोन काट दिया। खबर लिखे जाने तक मंत्री जी की तरफ से कोई भी फोन नही प्राप्त हुआ था।