समाचार प्लस के चैनल के मालिक उमेश कुमार के खिलाफ चैनल के ही इन्वेस्टिगेशन एडिटर आयुष गौड़ ने जो मुकदमा दर्ज कराया है, उसमें गौड़ ने कहा है कि उमेश कुमार ने उसे दिल्ली में अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश का स्टिंग ऑपरेशन करने का दायित्व सौंपा था।
गौरतलब है कि उमेश कुमार के खिलाफ भय दिखा कर वसूली करने तथा दूसरे को अपराध के लिए उकसाने के साथ साथ आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं में मुकदमा दर्ज है उमेश के खिलाफ धारा 386, 388, और 120 बी के तहत मुकदमा दर्ज है।
12 जनवरी 2018 को उमेश कुमार ने फर्जी और डमी पार्टियां तैयार करके टेंडर के नाम पर अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को उत्तराखंड गेस्ट हाउस दिल्ली पहुंचकर कुछ रुपये पकड़ा देने का निर्देश दिया गया था।
सूत्रों के अनुसार ओम प्रकाश का स्टिंग होने के बाद जीरो टोलरेंस की पोल खुलने की पूरी संभावना थी।
इसके अलावा उमेश कुमार के निर्देश के अनुसार पियूष गौड़ 10 फरवरी 2018 को मृत्युंजय मिश्रा से उत्तराखंड सदन में मिला और 16 फरवरी को मृत्युंजय मिश्रा ने उत्तराखंड के सीएम से मिलवाने का समय 4:00 शाम का निश्चित किया था।
दर्ज किए गए मुकदमे के अनुसार यह बात साफ जाहिर हो रही है कि उमेश जी कुमार ने आयुष गौड़ के माध्यम से ओमप्रकाश का पैसे लेते हुए स्टिंग ऑपरेशन कर दिया था और अब मुख्यमंत्री तथा मुख्य सचिव का भी स्टिंग ऑपरेशन कराने की प्लानिंग थी।
यदि यह स्टिंग भाजपा हाईकमान तक पहुंच जाता अथवा चैनल पर चल जाता तो सरकार की वाकई में किरकिरी होना तय थी।
दर्ज एफ आई आर में आयुष गौड़ कहता है कि इसके बाद जब मुख्यमंत्री का स्टिंग ऑपरेशन करना नाकाम हो गया तो फिर यह जिम्मेदारी देहरादून में राहुल भाटिया को दी गई।
राहुल भाटिया ने गौड़ को ऐसे-ऐसे लोगों से मिलवाया जो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री से संबंध रखते थे। गौड़ के अनुसार 18 अप्रैल 2018 को रिकॉर्डिंग का ऑपरेशन पूरा करने के बाद राहुल भाटिया ने उमेश शर्मा को रिकॉर्डिंग की चिप और मेमोरी कार्ड सौंप दिया था।
इसके बाद उमेश शर्मा ने मुख्य सचिव को स्टिंग ऑपरेशन में फंसाने की योजना बनाई और अपने साथियों के साथ जिक्र किया कि यदि मुख्य सचिव को फसा लेंगे तो फिर उनसे अपने मनचाहे काम करवाए जा सकते हैं। फिर राज्य में राजनीतिक अस्थिरता फैल जाएगी और फिर मनचाहे काम हो सकेंगे। आयुष का कहना है कि 5 मई को वह जब मुख्यमंत्री का स्टिंग ऑपरेशन करने सीएम हाउस जा रहे थे तो फिर घबराहट में उन्होंने खुफिया कैमरे बाहर ही रख दिए। और कोई रिकॉर्डिंग नहीं की।
इस पर उमेश कुमार ने उनको काफी धमकाया। गौड़ की माने तो उमेश कुमार के साथ प्रवीण साहनी, सौरव साहनी, राहुल भाटिया, कुछ कर्मचारी और स्थानीय नेता तथा व्यापारी संलिप्त हैं जो प्रदेश में अशांति और हाहाकार फैलाना चाहते हैं।
गॉड ने बताया कि उमेश कुमार ने कई उपकरण, दस्तावेज, रिकॉर्डिंग, डिवाइस, मेमोरी कार्ड अपने विभिन्न निवास स्थानों पर छुपा रखे हैं और उन्हें नष्ट करने की फिराक में है। इसीलिए राज्य के पुलिस अधिकारियों ने कोर्ट से वारंट जारी करा कर उमेश कुमार के घर की तलाशी ली और उसे बरामद सामान सहित गिरफ्तार करके देहरादून के एक गुप्त स्थान पर गहराई से पूछताछ की जा रही है।