जगदम्बा कोठारी / रूद्रप्रयाग
कभी कभी कुदरत के करिश्मे से इंसान इतना भौंचक्का हो जाता है कि वह इन घटनाक्रम को दैवीय प्रकोप से जोड़ने लगता है व साथ यह घटनायें आधुनिक विज्ञान के लिये भी चुनौती बन जाती हैं। कुछ ऐसा ही हैरान करने वाला वाकया जनपद के जखोली विकास खण्ड के एक दम्पत्ति के साथ जखोली निवासी राहुल (परिवर्तित नाम) की 30 वर्षीय पत्नी रामदेई (परिवर्तित नाम) 8 माह की गर्भवती थी, जिसके रूटीन चैकअप के लिए वह अपनी पत्नी को रूद्रप्रयाग मुख्यालय स्थित एक निजी चिकित्सालय ले गये। चिकित्सक ने जब महिला का अल्ट्रासाउंड किया तो भ्रूण की स्थिति देख भौंचक्के हो गये, उनके अनुसार महिला के गर्भ मे पल रहा यह भ्रुण अविकसित व असामान्य था, इस पहले व अनोखे केस से हैरान चिकित्सक ने दम्पत्ति को हॉयर सेन्टर जाने की सलाह दी। 15 नवम्बर को अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट लेकर यह दम्पत्ति ऋषिकेश स्थित नर्सिंग होम पहुंचे।
हैरानी भरी इस रिपोर्ट को देखते ही महिला डाक्टर ने तत्काल विशेषज्ञ महिला डाक्टरों की टीम गठित कर महिला का आपरेशन कर इस भ्रूण को महिला के गर्भ से बाहर निकाला। लगभग आठ माह की इस बच्ची का भ्रूण धड़ से नीचे तो सामान्य था लेकिन सर विकृत था जो कि आम नवजात से भिन्न व डरावना था, बच्ची के जबडे़ पर दांत निकले थे जिसे आप तस्वीरों मे स्पष्ट देख सकते हैं।
जन्म लेने के आधा घन्टे बाद इस नवजात की स्वाभाविक मृत्यु हो गयी। तब से लेकर आज तक यह बच्ची ऋषिकेश, रूद्रप्रयाग सहित सोशल मीडिया मे चर्चा का विषय बनी है। अस्पताल मे बच्ची के परिजनों द्वारा खींची गयी इस बच्ची की फोटो सोशल मीडिया मे जमकर वायरल हो रही हैं। कोई इस मामले को दैवीय प्रकोप से जोड़कर देख रहा है तो किसी के लिये यह भावी आपदा का संकेत है। समाज मे इस मृत बच्ची की यह तस्वीर चर्चा व कौतूहल का विषय बना हुआ है, जिसे लेकर गढ़वाल भर मे कई अफवाह फैलायी जा रही है।
सोशल मीडिया के माध्यम से क्षेत्र मे फैलते अन्धविश्वास को लेकर ‘पर्वत जन’ ने जब रूद्रप्रयाग स्थित निजी चिकित्सालय के चिकित्सक व महिला के रूटीन चिकित्सक से संपर्क किया तो उन्होने जानकारी दी कि यह महिला अपने पति के साथ रूटीन चैकअप के लिये हमारे अस्पताल आयी थी और अल्ट्रासांउड रिपोर्ट मे महिला के गर्भ मे पल रहा भ्रूण अविकसित था और महिला की खराब स्थिति को देखते हुये उसे हॉयर सेन्टर भेजा गया। वहीं जब इस मामले मे हमने महिला का उपचार करने वाले ऋषिकेश के एक नर्सिंग होम के वरिष्ठ चिकित्सक से संपर्क किया तो उन्होने बताया कि महिला के गर्भ मे पल रहा यह भ्रूण मां के लिये घातक था जिसे विशेषज चिकित्सकों की टीम को गठित आपरेशन द्वारा बाहर निकाला गया। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो गर्भवती महिला की जान पर खतरा था ही व साथ ही उन्होने बताया कि गर्भवती के बचने की संभावनाये न के बराबर थी इसलिए आपरेशन कर बच्चे को बाहर निकाला गया। उनका कहना है कि आमतौर पर पहाडी़ गर्भवती महिलाये दिनभर खेती बाडी़ के कामों मे व्यस्त रहती हैं और शाम को बिना चिकित्सक की सलाह से दवाइयां खा लेती हैं जिसका प्रतिकूल प्रभाव उनके गर्भ मे पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है।
रूद्रप्रयाग के वरिष्ठ सर्जन चिकित्सक का कहना था कि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट देखकर यह लग चुका था कि महिला के पेट मे पल रहा भ्रूण अविकसित व असामान्य है, जिसमे विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम बनाकर अस्पताल को अधिकार है कि वह उक्त महिला के परिजनों की सहमति पर महिला का गर्भपात करवा सकता है, इसलिए सुविधानुसार उन्हें हॉयर सेंटर जाने की सलाह दी गयी।
जानी मानी समाज सेवी व ‘मैत्री संस्था’ की अध्यक्षा कुसुम जोशी का कहना है कि अबोध बच्ची के जन्म को लेकर जो अफवाहें फैलायी जा रही हैं वह तथ्य हीन हैं व साथ ही उन्होने इस बच्ची के विकृत रूप को एक स्वाभाविक घटना माना है।
महिला का उपचार करने वाली वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. ने बताया है कि उनके अपने पिछले 18 वर्षों के कार्यकाल मे पहली बार इस प्रकार का केस उनके पास आया है और इस केस का वह विस्तृत अध्ययन करेंगे व साथ ही वह कहती हैं कि मां के कुपोषित होने के चलते बच्ची के सिर का विकास नहीं हो पाया होगा और उन्होने कहा कि लाखों गर्भवती महिलाओं मे एक या एक से अधिक केस आने की ऐसी संभावनायें रह सकती हैं और उन्होने इसे दैवीय शक्ति के प्रकोप से जोडे़ जाने को मात्र अंधविश्वास व कोरी अफवाह बताया है।
बहरहाल मृत बच्ची की मां अब खतरे से बाहर है व परिजन इस घटनाक्रम के बाद से सदमे मे हैं साथ ही उन्होंने इस बच्ची के विकृत रूप मे जन्म लेने के बाद से उड़ रही दैवीय प्रकोप की अफवाहों पर सरकार के हस्तक्षेप की मांग की है।