दिनेश मनसेरा
गौला नदी में बने एलिफेंट कॉरिडोर में जमा रेता, बजरी एक मानसून बरसात में बह कर यूपी चली जायेगी। इस मानसून में उत्तराखंड के पांच सौ करोड़ का धंधा पानी मे बह कर यूपी चले जाने वाला है,जिसमे दो सौ करोड़ रु सरकार के राजस्व के भी हैं।नहीं विश्वास तो गौला नदी की तरफ आकर एक नज़र एलिफेंट कॉरिडोर पर डाल लीजिये।
उत्तराखंड को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली गौला नदी में मानसून में पहाड़ों से आने वाले रेता बजरी पत्थर हल्दू चौड़ के पास एलफेंट कॉरिडोर में एक पहाड़ के रूप में जमा हो गया है। कॉरिडोर से खनन की अनुमति नहीं है क्योंकि वन्यजीव खासकर हाथी यहां से आते जाते हैं। डब्लू डब्लू एफ और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) इस कॉरिडोर की निगरानी करता है। पिछले दस बारह सालों से यहां से खनन नहीं हुआ और करीब पच्चीस लाख घन मीटर रेत बजरी बोल्डर यहाँ पहाड़ जैसा जमा हो गया है।
इस रेता बजरी के पहाड़ से गौला नदी के तेज वेग ने इससे टकराने के साथ साथ किनारे के खेतों की जमीन का भूकटाव शुरू कर दिया जिसकी रोकथाम के लिए चैनल बना दिये गए ,चैनल बन जाने से वन्य जीवों का रास्ता सुगम होने के बजाय और भी बाधित हो गया, नतीजा ये भी हुआ कि हाथी अब कॉरिडॉर से नही जाते बल्कि नीचे से जाकर खेतों को नुकसान पहुंचाने लगे।
एलिफेंट कॉरिडोर में अब इतने ऊंचे टीले बन गए है एक मानसून की भारी बारिश में आये गौला के रौद्र रूप ने इस टीले को अपने साथ बहा कर यूपी ले जाना है,यानि उत्तराखंड का राजस्व भी यूपी पहुंच जाना है।