हल्द्वानी जेल में राज्य बनने से लेकर अब तक डेढ़ करोड़ की बिजली फूंकी जा चुकी है, जबकि 59 लाख का पानी पिया जा चुका है। यह हम नहीं कह रहे, बल्कि इसका खुलासा एक आरटीआई के जवाब में हुआ है।
हल्द्वानी निवासी आरटीआई कार्यकर्ता हेमंत सिंह गौनिया ने जब हल्द्वानी जेल में आरटीआई लगाई, तो इसके जवाब में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
राज्य बनने से लेकर अब तक जेल में कुल एक करोड़ 56 लाख 57 हजार 202 रुपए की बिजली का बिल आया। उपकारागार हल्द्वानी में वित्तीय वर्ष 2018-19 में विद्युत के लिए 14 लाख की धनराशि आवंटित हुई। बिल भुगतान करने के बाद अभी भी 822 रुपए बिल भुगतान करना शेष रह गया है।
इसी प्रकार 59 लाख 31 हजार 260 रुपए का पानी का बिल भुगतान किया गया। हालांकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में यहां के लिए जल कर मद में कोई धनराशि आवंटित नहीं की गई। उपकारागार हल्द्वानी में रहने वाले बंदियों की पेयजल व्यवस्था के लिए दो ट्यूबवैल लगाए गए हैं।
इन आंकड़ों का थोड़ा विश्लेषण करने पर पता चलता है कि 18 वित्तीय वर्षों में प्रति वित्तीय वर्ष करीब 8 लाख 69 हजार 844 रुपए बिजली बिल का भुगतान किया गया, जबकि पानी के मद में सालाना करीब 3 लाख 29 हजार 514 रुपए खर्च हुए। अगर इसे प्रत्येक महीने के हिसाब से जोड़ा जाए तो प्रतिमाह 27 हजार 459 रुपए जलकर के रूप में भुगतान किया गया, जबकि 72 हजार 487 रुपए प्रतिमाह की दर से बिजली खर्च की गई है।
जाहिर है कि बिल के रूप में इतना अत्यधिक भुगतान किया जाना सरकारी धन का दुरुपयोग किए जाने की बात को पुख्ता करता है।
यदि ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों पर कड़ाई से पूछताछ की जाए तो हकीकत सामने आ जाएगी।