इन्द्रजीत असवाल/लैंसडौन
पलायन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार शिक्षा की उचित व्यवस्था न होना और शिक्षा के मंदिर की ऐसी हालात देखकर आप भी निरुत्तर होकर रह जाएंगे कि आखिर नौनिहाल ऐसे स्कूलों में पढ़ रहे होंगे।
यहां बात की जा रही है कि राजकीय इन्टर कालेज द्वारी पैनो विकास खंड रिखणीखाल जनपद पौड़ी गढ़वाल उत्तराखंड की। पौड़ी गढ़वाल अभी अपनी पचासवीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है और इसी उपलक्ष में पौड़ी में ऐतिहासिक कैबिनेट मीटिंग भी होने जा रही है।
पौड़ी जिला पलायन में पहले नंबर पर है। अब इस कालेज की बात करते हंै। यह कालेज जुलाई 1966 में सीनियर बेसिक स्कूल द्वारी के नाम से खुला था। सर्वप्रथम यहां अध्यापक के रूप मे बडियारगाव के सादर सिंह रावत नियुक्त हुए थे। उसके बाद राजकीय जूनियर हाईस्कूल हुआ तथा श्यामलाल डोबरियाल नियुक्त हुए। भवन निर्माण 1967 से शुरू हुआ। मुख्य हाल द्वारी ग्राम पंचायत दाहिने तरफ ग्राम पंचायत नावेतली तथा बायें गांव सिलगांव ने कुछ श्रमदान कुछ मजदूरी में बनाया। आज विद्यालय की हालत जर्जर हो गयी है। प्लास्टर झड़ रहा है। छत टपक रही है। प्लास्टिक की पन्नी से अध्यापकों ने पैसा इकठ्ठा कर ढक रखा है। दीवार पर जगह-जगह छेद हो गए हैं। स्कूल की हालत नाजुक है। कभी भी बरसात में बड़ा हादसा हो सकता है, लेकिन किसी का ध्यान इस पर नहीं जा रहा है।
स्कूल की हालत नाजुक है। अस्पताल शून्य पर हैं। ये अब किसकी जवाबदेही है जो इस स्कूल की मरम्मत करवा सके। बातें लंबी चौड़ी होती हैं। आप इस तस्वीर में कालेज की हालत साफ-साफ देख सकते हैं। अब सोचो हमारा देवभूमि उत्तराखंड कहां जा रहा है। ग्रामवासी इस जर्जर स्कूल की दास्तां बयां करते हुए कहते हैं कि क्या इसे ही कहते हंै सबका साथ सबका विकास!