जवानी के दिनों में खून पसीने और हाड़ तोड़ मेहनत से अपने चार बच्चों का पालन पोषण करने वाली सुमन देवी को क्या पता था कि एक दिन उनके ये अपने ही जिगर के टुकड़े उन्हें ऐसा दर्द देंगे कि उनके लिए यह जीते जी मरने जैसा होगा।
जानकारी के अनुसार वृद्ध सुमन देवी उत्तरकाशी जनपद की है उनके तीन पुत्र व एक पुत्री हैं। उनका एक पुत्र जतनी लाल नौगांव ब्लॉक मुख्यालय में वरिष्ठ लिपिक पद से रिटायर्ड है बुजुर्ग हो चुकी सुमन दीदी को यही बेटे बहू रोज-रोज मारपीट कर प्रताड़ना देते हैं। हद तो तब हो गई जब उनकी बहू ने
उन्हें मार-मार कर उनके ही घर से उन्हें बाहर निकाल दिया। ऐसे में सुमन देवी बेघर हो गई और वह सड़क किनारे घूम घूम कर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर है। अब वह आने जाने वाले राहगीरों से उसे अपने घर में पनाह देने की भीख मांगती फिर रही है, किंतु कलयुगी बेटे जतनी लाल को अपनी पत्नी पर ज्यादा भरोसा है और पत्नी को सबक सिखाने की बजाय नई पीढ़ी को भी कलियुगी प्रेरणा देने का काम कर रहा है।
बहरहाल उत्तरकाशी जनपद की रहने वाली वृद्ध सुमन देवी की कहानी सुनकर हर किसी को यह सोचने को मजबूर जरूर कर रहा है कि जब उनका बुढ़ापा आएगा तो वह किस हाल में होंगे!