कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में बीमार वृद्ध को डोली में ले जाती इन तस्वीरों को देखकर आप भी हैरान हो जाएंगे। ग्रामीण पांच किलोमीटर उबड़ खाबड़ पहाड़ी रास्ते से पैदल चलकर नजदीकी मोटर मार्ग तक पहुँचते हैं।
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नैनीताल जिले में भीमताल ब्लॉक के। मलुवाताल गांव से नजदीकी मोटर मार्ग लगभग पांच किलोमीटर दूर है। यहां किसी भी जरूरत और आपातकाल के मौके पर ग्रामीणों को पांच किलोमीटर चढ़ाई पार कर नजदीकी सड़क तक पहुँचना पड़ता है । बीते रोज गांव के 70 वर्षीय बुजुर्ग जैत सिंह की स्वास संबंधी तबियत खराब हो गई थी जिन्हें चैक अप के लिए बरेली के एक निजी अस्पताल में ले जाना पड़ा। उनका उसी अस्पताल से कुछ दिन पहले ऑपरेशन हुआ था । तबियत बिगड़ने पर बुजुर्ग को ले जाने के लिए सात से दस युवाओं की टीम को तैयार किया गया। उन्हें एक बिस्तरनुमा डोली में लिटाया गया और बिना वक्त जाया किये सड़क में रुकी एम्ब्युलेंस तक पहुंचाने के लिए टीम निकल पड़ी। खड़ी चढ़ाई और पथरीले रास्ते से घने जंगल को पार कर पांच किलोमीटर दूर जाना आसान नहीं था। युवाओं ने बेड़ा उठाया तो बुजुर्ग को सड़क तक पहुंचाकर ही दम लिया।
इस बीच एक युवक के सिर पर अस्पताल में जरूरत के सामान से भरा एक बोरा भी था। इतना ही नहीं जंगली जानवर के हमले से बचने के लिए एक हिम्मती महिला के हाथ में धारदार दंराती भी दी गई जो कारवां के बीचों बीच आगे पीछे नजर रखते हुए चल रही थी।
राज्य निर्माण के 19 वर्ष पूरे होने के बाद भी नैनीताल से महज कुछ किलोमीटर दूर इस तरह का अविकसित क्षेत्र ग्रामीणों के लिए दर्द देने वाला साबित हो रहा है। यहां के ग्रामीण अब मीडिया के माध्यम से सरकार को जगाना चाहते हैं क्योंकि उनके कई वर्षों से ज्ञापन देने के बाद भी सरकारें सोई हुई हैं।
गांव के ही प्रवीण गंगोला बताते हैं कि डोली को तीन से चार घंटे में नजदीकी मोटर मार्ग तक पहुँचाया जाता है । कई नेताओं ने वादे किए लेकिन किया कुछ नहीं और अब उन्हें एक मोटर मार्ग की सख्त जरूरत है।