सीएम त्रिवेंद्र ने चार दिन पहले ही रैबार-2 के सम्मेलन मे मंच से ताल ठोककर कहा था “भांग से काया पलट हो जाएगी। लेकिन लोग समझते नही।” बहरहाल देर आए दुरुस्त आए सीएम साहब को खुद ही समझ आ गया।
जानिए क्या कहा था सीएम सर ने
दरअसल सरकार के निर्णय से राजभवन खुद ही असमंजस में फंस गया था, तथा राजभवन ने सरकार की भांग से संबंधित फाइल लौटा दी थी।
किंतु सरकार ने एक बार फिर से फाइल राजभवन भेजी राजभवन ने फाइल फिर से लौटा दी थी।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने काफी समझाने की कोशिश लेकिन लेकिन जनता में इसका पूरी तरह से गलत संदेश जा रहा था। भांग की खेती को अनुमति देने के लिए सरकार ने उत्तराखंड जमीदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम में संशोधन किया था। लेकिन जब राजभवन ने हस्ताक्षर नही किए तो फिर यह अध्यादेश राज्यपाल से वापस मंगा दिया गया।
यह अध्यादेश लगभग छह महीने तक राजभवन में पड़ा रहा था।
4 जून को मंत्रिमंडल की बैठक में उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर साढे 12 एकड़ से ज्यादा भूमि खरीदने या लीज पर देने की मंजूरी दी गई थी।
इस मंजूरी में सरकार ने चुपके से भांग की खेती का प्रावधान भी जोड़ दिया था, लेकिन जब 3 महीने तक यह अध्यादेश राजभवन में पड़ा रहा तो फिर सरकार ने इसमें कुछ बदलाव करके दोबारा से अध्यादेश राजभवन भेजा लेकिन जब पूरे 6 महीने तक कुछ नहीं हुआ तो फिर सरकार ने यह अध्यादेश वापस मंगा कर इसमें से भांग की खेती के प्रस्ताव को हटा दिया और अब इसमें वैकल्पिक ऊर्जा, चाय बागान, प्रसंस्करण कृषि आदि को जोड़ दिया है।
इस रोलबैक से यह माना जा रहा है कि अब फाइनली सरकार के सर से भांग का नशा उतर गया है।