हरिद्वार मेला क्षेत्र में सिंचाई विभाग की जमीन पर क्षेत्रीय भाजपा पार्षद सचिन अग्रवाल की शह पर हो रहे एक अवैध निर्माण का मामला जब सोशल मीडिया में उठा तो तो सचिन अग्रवाल ने सीधे पोस्ट करने वालों को ही ललकार दिया कि,-” मैं यह स्वीकार करता हूं कि बैरागी कैंप में जो भी निर्माण हो रहे हैं वह मेरे स्वयं के हैं अगर किसी को कोई दिक्कत है तो बता दो और जो होता है उखाड़ लो।”
बस फिर क्या था सोशल पोस्ट का एक स्क्रीनशॉट हरिद्वार की कांग्रेस नेत्री वंदना गुप्ता ने अपनी टाइमलाइन पर मेला अधिकारी दीपक रावत को टैग करते हुए पोस्ट कर दिया कि इसका संज्ञान लिया जाना चाहिए।
हरिद्वार के जिलाधिकारी रह चुके और वर्तमान में मेला अधिकारी के पद पर तैनात दीपक रावत ने भी तत्काल इस पोस्ट का संज्ञान लेते हुए कमेंट बॉक्स में लिख दिया कि यदि निर्माण अवैध हुआ तो उसे तोड़ दिया जाएगा।
…..और शाम होते-होते यह निर्माण तोड़ दिया गया। अब पार्षद महोदय भी बैकफुट पर हैं। किंतु बड़ा सवाल यह है कि आखिर सत्ताधारी पार्टी के पार्षद आखिर किसकी शह पर खुलेआम हरिद्वार की जनता को चुनौती देते हुए ललकार रहे हैं जिस जनता ने उन्हें वोट देकर पार्षद बनाया वही जनता जब अवैध निर्माण को लेकर सवाल उठा रही है तो भाजपा पार्षद की यह हनक वाकई चिंताजनक है।
क्या है पूरा मामला :
हरिद्वार मे एक अखाड़े के संत ने ललताराव रौ की भूमि पर गिद्ध दृष्टि गड़ाई हुई है। अभिलेखों में भूमि अखाड़े के नाम चढ़ाने की कवायद चल रही हैं। कुंभ के मद्देनजर सत्तासीन नेता व नौकरशाह सरकारी भूमि की फाईल बढ़ा रहे हैैं। 2010 के कुंभ में भी संत द्वारा कब्जा किया गया था। तत्कालीन जिलाधिकारी ने अवैध कब्जा बताकर सरकारी भूमि पर संत का अनाधिकृत निर्माण ध्वस्त कर और सरकारी भूमि कब्जा मुक्त कराई थी। कुंभ आते ही सरकारी भूमि कब्जाने की कोशिश फिर से शुरू हो गई। धीरे-धीरे मामला अंदरखाने परवान चढ़ाने की तैयारी है।
उधर, बैरागी कैंप की कुंभ मेला भूमि बैरागी बहुचर्चित संत के शिष्य ने विभागीय मिलीभगत के चलत खुर्द बुर्द कर दी। कुंभ 2010 में झोपड़ी डालकर करोड़ों की सरकारी भूमि पर कब्जा किया था। संस्था को भूमि बेच करोड़ों के किए वारे – न्यारे किए गये । 100 रूपए व 50 रूपए के स्टाम्प पर बैरागी कैम्प कनखल स्थित सिंचाई विभाग की भूमि बेची जा रही हैं।
अधिकारी यूं ही तमाशबीन बने रहे तो कुंभ सकुशल संपन्न कराने के लिए भूमि कहां से लाएंगे ?