अमित तोमर( अधिवक्ता )
वर्ष 1933 में हिन्दू नेशनल इंटर कॉलेज की नींव महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी ने रखी थी। उस समय यह विद्यालय अपनी श्रेष्ठ शिक्षा के लिए विख्यात था और दशकों तक इस विद्यालय ने राष्ट्र को अनेक विख्यात डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, सैन्य अधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी और बड़े राजनेता दिए।
मुझे आज भी 1984 याद है जब पिताजी का ट्रांसफर देहरादून में हुआ था और हम देहरादून में आ बसे थे। हमारे किराए का मकान ठीक इस विद्यालय के सामने था। उस समय इस विद्यालय में हज़ारों छात्र पढ़ते थे। स्कूल की साख ऐसी थी कि बड़ी सिफारिश पर भी दाख़िला मिलना मुमकिन नही था, विशेष रूप से कक्षा 6 और उससे ऊपर।
यही नही स्कूल में देहरादून के श्रेष्ठ शिक्षक अध्यापन करते थे। चाहे पढ़ाई हो या खेल, यह देहरादून में हिंदी माध्यम का श्रेष्ठ विद्यालय था। आज भी याद है जब मध्यांतर पर सैंकड़ों बच्चे पूरी शिद्दत से हल्ला मचाते थे और स्कूल के भीतर लगे टिक्की-छोले और राजमा चावल के ठेलों पर टूट पड़ते थे। पूरे लक्ष्मण चौक क्षेत्र की जान मानो इस स्कूल में बसती थी। मैं किसी दूसरे विद्यालय में पढ़ता था पर अपने स्कूल से कहीं अधिक लगाव मुझे इस विद्यालय से था क्योंकि ठीक चार बजते ही आसपास के सभी बच्चे विद्यालय के विशाल मैदान में फुटबॉल, बैट-किल्ली लिए स्थान कब्जाने को दौड़ पड़ते थे। 5 वर्ष की आयु से 18 वर्ष की आयु तक शायद ही कोई ऐसा दिन हो जब मैं इस स्कूल में नही खेला।
दो दशक बाद अपने बेटे को आज मैं हिन्दू नेशनल स्कूल लेकर गया तो आत्मा कांप उठी। एक भी कक्षा में फर्नीचर नही था। पूरी बिल्डिंग किसी भी क्षण ढह सकती है। चित्रों को देख आप अंदाजा लगा लेंगे कि अपने दौर का विख्यात यह विद्यालय आज अपनी अंतिम साँसे गिन रहा है। किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है जिसमे विद्यालय में पढ़ रहे 300 से अधिक छात्र-छात्राएं हताहत हो सकते है। लेकिन प्रशासन मानो किसी अनहोनी की बाँट संजोए है।
यह विद्यालय अब एक मैनेजमेंट कमेटी की गिरफ्त में है जो हर हाल में इस विद्यालय की हत्या को उतारू है। साथ ही भू माफिया भी इसकी बेशकीमती ज़मीन को किसी भी प्रकार हड़पना चाहता है। अभी कुछ वर्ष पूर्व ही कमेटी और भू माफिया की साठ-गाँठ से विद्यालय में लगे कई दर्जन हरे भरे वृक्षो की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। स्थानीय लोगों के जबरदस्त विरोध के चलते भू माफिया शांत हो गए परंतु आजतक भी दोषियों पर कार्यवाही नही की गई।
आज यह विद्यालय केवल किसी बैंक्वेट हॉल की तरह प्रयोग किया जा रहा है। एक रात के लिए मैदान को 36000रु किराए पर देकर वर्ष में कई लाख रुपये प्रबंधन कमा रहा है, जिसका हिसाब किसी के पास नही। शादी के उपरांत अगली सुबह जब बच्चे स्कूल में पढ़ने पहुंचते है तो मैदान में शराब की खाली बोतलें और फेंका हुआ भोजन उनका स्वागत करता है। इसी पैसे से इस विद्यालय का जीर्णोद्धार बखूबी किया जा सकता है, परंतु प्रबंधन किसी भी प्रकार इस विद्यालय की हत्या पर उतारू है ताकि स्कूल की बेशकीमती ज़मीन को ठिकाने लगाया जा सके। स्कूल की हालत का अंदाज़ा आप इससे लगा सकते है कि आये दिन इस विद्यालय में शादी-ब्याह, जागरण संध्या, राजनैतिक कार्यक्रम, जन्मदिन, सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है जिससे प्रबंधन लाखों की काली कमाई करता है। अभी कुछ वर्षों से इस पवित्र विद्यालय परिसर में रावण जलाने की कुप्रथा भी शुरू हो गयी है जिसमें प्रदेश के मुखिया से लेकर बड़े नेता और सरकारी बाबू शिरकत करते है और ‘राम’ बन रावण, मेघनाथ, कुम्भकर्ण के पुतलों पर तीर दागते है। कोई नही जो स्कूल की चिंता करे।
लेकिन अब यह दशा बदलनी होगी। इस विद्यालय को पुनः महामना के सपनों का स्कूल बनाना होगा। इसी के तहत ‘SAVING HINDU NATIONAL’ मुहिम शुरू कर रहे है। विनती है सहयोग करे और इस धरोहर को संजोने में साथ दे।
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अमित तोमर
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