नवल खाली
पूरी दुनिया के साथ साथ अब उत्तराखंड में भी कोरोना अपनी दस्तक दे चुका है , दूसरी तरफ सरकार ने इसे महामारी भी घोषित कर दिया है। सरकार इससे निपटने की तैयारियों का दावा कर रही है पर अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको दिखाएंगे कि सरकार के इन दावों की पोल कैसे खुल रही है?
आपको बता दें कि उत्तराखंड में कोरोना वायरस की जांच के लिए अभी तक सिर्फ एक ही लैब है। हल्द्वानी स्थित इस लैब को जांच के लिए भेजे गए सेम्पल मिलने में देरी हो रही है ।
उत्तराखंड सरकार अभी तक अन्य लैब की स्थापना नहीं कर पाई है जिससे साफ पता चलता है कि सरकार इसके लिए कितनी संजीदा है ।
सरकार ने इसे महामारी तो घोषित कर दिया पर इस बीमारी के परीक्षण के लिए एक ही लेब के भरोसे चल रही है।
आपको बताते चलें कि उत्तराखंड के देहरादून में 1 कोरोना मरीज पाए जाने के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
वहीं एफआरआई के 27 लोगो के अतिरिक्त देहरादून से 5 लोगों के सेम्पल हल्द्वानी लैब जांच के लिए भेजे गए हैं। जिनकी रिपोर्ट आने में तीन से चार दिन का समय लग रहा है ऐसे में तेजी से बढ़ रहे संदिग्धों की जांच रिपोर्ट आने में हो रहे लेट लतीफे और संदिग्धों की संख्या बढ़ने से हालात खराब होने की सम्भावनाएं लगातार बनी हुई हैं।
ऐसे में एक ही लैब के भरोसे बैठी सरकार को सभी जिलों में इस लेब को स्थापित करने की आवश्यकता है।
इसके लिए बहुत बड़े लाव लश्कर की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि इसमें सिर्फ माइक्रो बायो लोजिस्ट की जरूरत होती है जो इस परीक्षण को आसानी से कर सकते हैं। इसके लिए सिर्फ पुणे स्थित आईसीएमआर से लाइसेंस और अनुमति लेनी होती है। सरकार के दावे यही पर फेल नजर आते हैं जब लगातार बढ़ रहे संदिग्धों के बाद भी एक ही लेब के भरोशे बैठी है।
यदि लगातार संदिग्ध बढ़ते रहेंगे ,आइसोलेशन वार्ड भरते रहेंगे और एक ही लेब के भरोसे जाँच रिपोर्ट आने में समय लगेगा तो सरकार कैसे इससे निपट पाएगी समझ से परे है।