श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति आजकल खासे विवादों में चल रही है।
इधर पूर्व अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने खुद के द्वारा की गई नियुक्तियों पर सफाई दी। उधर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह द्वारा की गई नियुक्ति का मामला सामने आ रहा है ।
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आपको बताते चलें कि समिति के पूर्व अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल ने शुक्रवार को गोपेश्वर में प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अपनी सफाई देते हुए कहा कि ये अस्थाई नियुक्तियां बिल्कुल भी अवैध नहीं है । समिति के अधीन संचालित विभिन्न संस्कृत विद्यालयों की प्रबंधन कमेठी की ओर से शिक्षक और कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग की थी उनसे प्राप्त लिस्ट के आधार पर ही मानदेय पर मार्च तक के लिए ये अस्थाई नियुक्तियां की गयी हैं ।
जब उनसे पूछा गया कि आपने अपने रिश्तेदारों की नियुक्ति कैसे की तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड छोटा सा राज्य है कहीं न कहीं से कोई रिश्तेदार निकल ही जाते हैं।
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प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मोहनप्रसाद थपलियाल ने भी पूर्व के बीकेटीसी पदाधिकारियों पर मंदिर समिति के बजट से फर्नीचर खरीदकर अपने घरों में लगाने का आरोप लगाया, जिसकी जांच की भी वो बात करते नजर आये।
वहीं मोहन प्रसाद थपलियाल ने ये भी कहा कि कुछ लोगों को वर्ष 2022 में होने जा रहे विधासनसभा चुनाव में मुझसे खतरा नजर आ रहा है।
इधर उन्होंने अपनी सफाई दी, उधर अब समिति में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमे अब मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह भी सवालों के घेरे में हैं।
बीडी सिंह द्वारा भी जुलाई 2018 में की गई नियुक्ति का मामला सामने आ रहा है।
जिसमे मीडिया कार्यो के सम्पादन के लिए 12 हजार मासिक वेतन पर ये नियुक्ति की गई है ।
समिति में पूर्व में हुए घपलों की अब धीरे धीरे पोल दर पोल खुलती जा रही है ।कभी निवर्तमान अध्यक्ष एक्ट के खिलाफ जाकर मनमर्जी से अपने रिश्तेदारों को फिट कर रहे हैं तो कभी पैंसो की बंदरबांट का मामला सामने आ रहा है ।
बीडी सिंह द्वारा की गई नियुक्ति के इस पत्र को मिलने के बाद आशंका यह भी जताई जा रही है कि यदि जांच की जाए तो हो सकता है अन्य नियुक्तियों का मामला भी सामने आ जाए।
जब हमने बीडी सिंह से इस विषय में बात की तो उनका कहना था, सभी शिक्षकों को तात्कालिक जरूरत को देखते हुए 3 महीने के लिए भर्ती किया गया था और पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद उन्हें हटा भी दिया गया था।
मीडिया कार्यों के लिए एक व्यक्ति की नियुक्ति के विषय मेंं उनका कहना था कि यह नियुक्ति वर्ष 2018 में सोशल मीडिया का कार्य संभालने के लिए की गई थी उस समय समिति नहींं बनी थी इसलिए नियुक्ति की गई तथा बाद में बोर्ड की बैठक में इसका अनुमोदन ले लिया गया था। यह तैनाती भी केवल कुछ समय के लिए की गई थी तथा अब यह नियुक्ति भी निरस्त कर दी गई है।
कुल मिलाकर देखा जाय तो बद्री केदार मंदिर समिति जिसका कि अब देवस्थानम बोर्ड में विलय हो गया है, पूर्व में वहाँ किये गए भ्र्ष्टाचार सामने आने से इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि यदि जांच की जाय तो बड़े बड़े खुलासे होने की सम्भावनाएं हैं।
वहीं इस मामले की जाँच के लिए जोशीमठ के लोगों द्वारा मुख्यमंत्री को कुछ दिन पूर्व तहसीलदार के माध्यम से पत्र भी भेजा गया है। अब देखना यह होगा कि जीरो टॉलरेंस का दावा करने वाले सीएम इस विषय पर कब तक संज्ञान लेते हैं ?