जगदम्बा कोठारी
31 मार्च तक लाॅकडाउन के कारण मैदानी शहरों से पहाड़ लौटने वाले कामगर युवाओं का हूजूम देर रात से आईएसबीटी ऋषिकेश, हरिद्वार और दिल्ली मे उमड़ा पड़ा है। इन लोंगों मे गढ़वाल और कुमांऊ दोनो जिलों के कामगर हैं।
सैंकड़ों की तादाद मे यह युवा पहाड़ अपने गांव जाना चाहते हैं, मगर परिवहन सेवा न होने के कारण दिल्ली, हरिद्वार और ऋषिकेश बस अड्डों मे फंसे पड़े हैं। एक ओर तो सरकार प्रदेश मे लाॅकडाॅउन की घोषणा कर चुकी हैं, वही रास्तों मे फंसे लोगों को उनके गांव पहुंचाने तक की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।
इन कामगरों मे पहाड़ के सभी जिलों से होटल, फैक्ट्री सहित अन्य संस्थान मे कार्यरत वो लोग शामिल हैं, जो कोरोना कहर के कारण संस्थान बंद होने के बाद अब घर जाना चाहते हैं, मगर बसें न होने के कारण अड्डों पर फंसे हैं। कल रात से यह कामगर भूखे प्यासे सड़कों पर घूम रहे हैं।
कई बार तो पुलिस भी इन्हे खदेड़ रही है और यह एक जगह से दूसरी जगह भटकने को मजबूर हैं। इनमे से कई तो ऐंसे हैं, जिनके पास घर जाने तक के पैसे नहीं है, और जिनके पास पैसे हैं भी तो होटल बंद है। सरकार ने यदि जल्द इनको भेजने के उचित व्यवस्था नहीं करी तो स्थिती और भयावह हो सकती है, क्योंकि अगर इनमे से एक भी कोरोना संक्रमित हुआ तो सरकार की मुश्किलें तो बड़ेगी, साथ ही संक्रमण भी व्यापक स्तर पर फैलेगा, जिसे काबू करना बड़ी चुनौती होगा।
वहीं सोशल मीडिया के माध्यम से भी कई भारतीयों के विदेशों मे फंसे होने की जानकारियां मिल रही हैं। पता चला है कि मर्चेंट नेवी का 23 सदस्यीय दल बार्सीलोना देश मे Pullmantor sovereign company नाम की एक कंपनी के 23 युवक फंसे पड़े हैं। इनमे से एक सदस्य अंकित थापा देहरादून के बैष्णव विहार का रहने वाला है। सभी फंसे युवाओं ने एक वीडियो जारी कर भारत सरकार से वतन वापिसी की मांग की है।