अनुज नेगी
देहरादून। सदियों पूर्व एक कहावत बड़ी प्रचलन में थी कि जब रोम जल रहा था तो नीरो बंसी बजा रहा था। वही हाल अब एक बार फिर उत्तराखण्ड में चरितार्थ हो रही है। सरकार अपने कार्यकाल के तीन वर्ष के गुणगान व कोरोना महामारी से निपटने में व्यस्त है, तो वहीं उसके अधिकारी प्रदेश के मुखिया द्वारा दिये गए जीरो टॉलरेंस के नारे के तहत नियमों के विपरीत कार्य करने वालो को शांति कराने में लगे हैं। जी हां यह बिल्कुल सच है। मामला उत्तराखण्ड वन महकमें के प्रसिद्ध राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर रेंज से जुड़ा है।
ऋषिकेश विधानसभा के मोतीचूर, तीनपानी, छिद्दरवाला व नेपाली फार्म में बन रहे हाइवे व फ्लाईओवर के लिए निर्माण सामग्री उपलब्ध कराने वाले मोतीचूर रेंज से सटे हॉट मिक्स प्लांट बिना एनओसी के चल रहा है। जी हां, यह सच है।
राजाजी की मोतीचूर रेंज की सीमा से सटे होने बावजूद पार्क महकमे के रेंजर व वार्डन इस प्लांट से एनओसी लेने में घबरा रहे है। इन अधिकारियों को हाल ही में वन महकमें के मुखिया द्वारा दिये गए आदेशों की जरा भी परवाह नहीं है।
उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम से जुड़े इस प्लांट के लोगों की ऊंची पहुंच के चलते इन वन अधिकारियों के हाथ पांव फूले हुए हैं। एक ओर वन महकमें में प्रमुख अपने अधिकारियों को सख्त निर्देश देते हैं कि किसी भी प्रकार का अतिक्रमण, अवैध रूप से चल रहे हॉट मिक्स प्लांट, अवैध खनन पर सख्त कार्यवही में आदेश दिए हैं, मगर जिम्मेदार अधिकारी ऊंची पहुँच का हवाला देकर कार्यवही से बचते नजर आ रहे हैं।
क्या है नियम :
सरकारी नियमों को देखें तो यह प्लांट किसी भी मानक को पूरा नहीं करता है। नियमों के तहत राजाजी टाईगर रिजर्व की सीमा से पांच किमी दूरी पर इस तरह के प्लांट होने चाहिए, मगर इसके उलट यह पार्क की सीमा से ही लगा हुआ है। वहीं इस तरह के उपक्रमों से स्कूल व आबादी क्षेत्रो से पांच सौ मीटर दूर होने चाहिए, मगर यह प्लांट स्कूल के बीच महज बीस मीटर की सड़क पर लगा है।
मीडिया लाया संज्ञान में, मगर अधिकारियों को चाहिए लिखित शिकायत
राजाजी के अधिकारियों को इस प्लांट की हकीकत पूरी तरह मालूम है। उनके द्वारा इसके खिलाफ कार्यवाही की बात बार बार कही जा रही है। इस प्लांट को लेकर स्थानीय लोगों ने मोतीचूर रेंजर से इसकी शिकायत की थी। उस शिकायत के बाद तत्कालीन वार्डन डीपी उनियाल व रेंज अधिकारी ने मौके पर जाकर एनओसी के कागज दिखाने को कहा था। वहीं वर्तमान वन्यजीव प्रतिपालक कोमल सिंह भी इस मामले को लेकर शांत बैठे है।
मीडिया द्वारा इस मामलों को संज्ञान में लाने के बावजूद अब तक वार्डन व रेंज अधिकारी द्वारा विधिवत रूप से इस प्लांट को अपने कागज प्रस्तुत करने के लिए नहीं कहा गया। केवल मौखिक रूप से ही प्लांट के कागज मांगा जाना व कार्यवाही से बचना कई सवालों को खड़े कर रहा है। वहीं राजस्व महकमे के अधिकारियों का भी यही हाल है। उन्हें भी लिखित शिकायत का इंतजार है।
“मैं उनकी ऊंची पँहुच के आगे मजबूर हूं। जनता की शिकायत पर मेरे द्वारा फारेस्ट गॉर्ड भेजकर कागज दिखाने को कहा गया है,मगर अब तक उन्होंने ऐसा नहीं किया।”
शैलेन्द्र नेगी, वन क्षेत्राधिकारी, मोतीचूर रेंज, राजाजी पार्क