कमल जगाती/नैनीताल
कोरोना वायरस का फायदा देते हुए उत्तराखण्ड की जेलों में बन्द कैदियों को आसानी से बेल और पैरॉल पर छोड़ दिया गया है। प्रशासन ने कैदियों को घर पहुंचाने की जिम्मेदारी निभाई है।
सुप्रीमकोर्ट के पिछले दिनों देश के उच्च न्यायालयों और सिविल कोर्टों को दिए ऑर्डर का पालन करते हुए, अधिनस्त न्यायालयों ने सात साल से कम सजा वाले कैदियों को छोड़ दिया है। कैदियों की संख्या के हिसाब से कुमाऊँ की सबसे बड़ी हल्द्वानी जेल में उच्च न्यायालय द्वारा बनाई गई उच्च स्तरीय कमिटी ने 7 साल से कम सजा वाले विचाराधीन लगभग 300 कैदियों की रिहाई का फरमान जारी कर दिया है।
आज हल्द्वानी जेल से लगभग 46 कैदियों की रिहाई हुई है।
हल्द्वानी जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक मनोज आर्य का कहना है कि हाई कमेटी द्वारा निर्णय जारी कर दिया गया है। इसके बाद 7 साल से कम की सजा वाले विचाराधीन कैदियों को अंतरिम जमानत और पैरोल पर 6 महीने के लिये छोड़ा गया है।
इन कैदियों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन गाड़ी भी मुहैया करा रहा है, तांकि वो अपने घर पहुंच सके। जेल से छूटने वाले कैदी अधिकतर चोरी और टप्पेबाजी के आरोपों में जेल में बंद थे।