अनुज नेगी
देहरादून। राजाजी टाइगर रिजर्व कि तुलना यूं ही इटली के रोम शहर से नहीं की जाती है। उत्तरखण्ड सरकार द्वारा वन महकमें में वन्यजीव संरक्षण व संवर्धन के लिए हाल ही में नए रेंजरों (डीडीआर) को उनके प्रभागों में तैनाती दी गयी थी। इसके तहत राजाजी में भी दो नए डीडीआर को रेंज जिम्मेदारी दी जानी है, मगर इसके बावजूद भी ये नए रेंजर अब तक रेंज चार्ज का ख्वाब देख रहे हैं।
राजाजी पार्क महकमा अब तक इन डीडीआर को रेंज उपलब्ध कराने में असमर्थ है। वहीं राजाजी पार्क के दो रेंजों में तत्काल तैनाती की आवश्यकता को दरकिनार कर महकमें के आला अफसर चैन की बंसी बजा रहे हैं।
राजाजी पार्क के तीन रेंजों को जरूरत है बदलाव की
राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क के बेरिवाड़ा व हरिद्वार रेंज में तत्काल बदलाव की जरूरत है। वहीं दूसरी और राजाजी पार्क की गोहरी रेंज में व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो चुकी है। महकमें की हरिद्वार रेंज के कार्यभार बेरिवाड़ा रेंज के रेंजर संभाल रहे हैं तो वहीं धौलखण्ड रेंज के रेंजर मानकों के विपरीत रेंज भार संभाले हुए हैं।
पूर्ण रेंजर न होने के बाद भी उनकी तैनाती समझ से परे है। वहीं राजाजी पार्क के गोहरी रेंज इन दिनों पूरे उत्तराखण्ड में चर्चा का विषय बनी हुई है। यहां के वन आरक्षी द्वारा रेंज अधिकारी व अनुभाग अधिकारी पर उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने के बाबजूद अब तक कार्यवाही न किया जाना गंभीर है।
वहीं इस मामले में यमकेश्वर विधायक द्वारा पार्क निदेशक को कड़ा पत्र लिखा गया था। साथ ही कर्मचारी संगठनों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी भी दी थी, मगर 31 मार्च तक वादे के बाद भी साबित करता है कि इन कर्मचारियों की पहुंच कहां तक है। वही रेंज तैनाती की आस में दोनों नए डीडीआरो को महज पेट्रोलिंग गतिविधियों पर नजर रखने की जिम्मेदारी साबित करती है।