नवल खाली
कोरोना की महामारी के बीच जब से जमाती शब्द का एक धर्म विशेष से कनेक्शन जुड़ा है, तब से पहाड़ी इलाकों में नजीबाबाद से आने वाली सब्जियों से भी लोग परहेज करने लगे हैं।
इसी कड़ी में आज सोशियल मीडिया में चमोली जिले के पीपलकोटी के कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमे स्थानीय सब्जी विक्रेताओं ने दुकान के बाहर तख्ती चस्पा करके लिखा है कि पहाड़ी सब्जी की दुकान।
देखिए वीडियो
वहीं कोरोना की महामारी के बाद लोगो के मन में इन सब्जियों के प्रति एक डर का भाव बैठ गया है।
बद्रीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने तो बाकायदा एक फेसबुक पोस्ट साझा करते हुए लिखा था कि सब्जियां सोच समझकर लें, पहाड़ी सब्जियों को तरजीह दें।
देखिए वीडियो
स्थानीय सब्जी और फल विक्रेता इस बात को भी स्वीकार करते दिख रहे हैं कि नजीबाबाद से आई सब्जियां नही बिक पा रही हैं और लोग इनसे परहेज भी कर रहे हैं।
वहीं सब्जी विक्रेताओं का ये भी कहना है कि पहाड़ी सब्जियों का उत्पादन काफी कम हो रहा है, क्योंकि सरकार बीजों और खाद में मदद नहीं करती।
देखिए वीडियो
जमातियों में कोरोना मरीजों की सँख्या बढ़ने के कारण पहाड़ों ही नहीं, बल्कि शहरों में भी लोग सब्जियां खरीदने से कतरा रहे हैं, क्योंकि सब्जी के व्यापार से लगभग 90प्रतिशत मुस्लिम समाज के लोग जुड़े हैं । ऐसे में मुस्लिम समाज के कुछ लोगों द्वारा सब्जियों पर थूक लगाने के वीडियो वायरल होने के बाद की वजह से लोगों में एक डर बैठ गया है।
पर सवाल तो ये भी है कि पहाड़ों में बंदर और सुंअरों से कैसे काश्तकारों की खेती बचाई जाय?
इसके लिए सरकार क्या पुख्ता इंतजाम करती आ रही है या क्या इंताज़ाम भविष्य में करेगी? क्योंकि अभी पहाड़ों में उगाई जाने वाली सब्जी से सिर्फ 25% लोगों की ही पूर्ति हो पायेगी।
ऐसे में सरकार को सिर्फ स्थानीय फल, सब्जियों को तरजीह देने की अपील कितने दिनों तक चलती है, ये भी देखने वाली बात होगी।