कोरोनावायरस कि इस महामारी के दौर पर सरकार अपनी अक्षमता छुपाने के लिए उजागर करने वाले पत्रकारों पर भले ही मुकदमा दर्ज कर रही हो, लेकिन भाजपा आईटी सेल और अपने विधायकों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों और भड़काऊ पोस्टों पर प्रशासन ने चुप्पी साधी हुई है।
भाजपा आईटी सेल के देहरादून महानगर प्रभारी अनुराग भाटिया ने फेसबुक पर पहले एक पोस्ट डाली कि- “उत्तराखंड का मसूरी सील कोविड-19 हॉटस्पॉट।”
उसके थोड़ी देर बाद उन्होंने एक और पोस्ट डाली जिसमें उन्होंने संशोधन किया था और लिखा है कि,-“उत्तराखंड में किसी भी क्षेत्र में पूर्ण लॉक डाउन सील करने की पुष्टि नहीं हुई है सरकार द्वारा कोई शासनादेश पारित नहीं हुआ है।”
जब यह पोस्ट डाली जा रही थी तब चार स्थानों पर पूरी तरह लॉक डाउन था और करीब 40000 से ज्यादा की आबादी पर इसका असर था।
डोईवाला, रायपुर, हरिद्वार और हल्द्वानी के बनभूलपुरा आदि कई इलाकों में पूरी तरह ब्लॉक डाउन था।
इसकी सूचना पुलिस के उच्चाधिकारियों तक थी लेकिन किसी ने भी इस पर कार्यवाही नहीं की। कोई अधिकारी अपना प्रमोशन चाहता है तो कोई मलाईदार पोस्टिंग, इसीलिए कोई बिल्ली के गले में घंटी नहीं बांधना चाहत। हालांकि बाद में आईटी सेल प्रभारी अनुराग भाटिया ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी थी।
वहीं दूसरी ओर सरकार की खामियों को उजागर करने वाले पत्रकारों के खिलाफ सरकार के इशारे पर मुकदमे धड़ाधड़ दर्ज किए जा रहे हैं। जबकि यह पत्रकार सिर्फ सिस्टम की नाकामी को उजागर कर रहे हैं,कोई अफवाह नहीं फैला रहे। कोटद्वार में राजीव गौड़, डोईवाला में रजनीश सैनी जैसे पत्रकारों ने सरकार की नाकामियां ही उजागर की थी, लेकिन एक तरफ पत्रकारों पर दमन चक्र चलाया जा रहा है वहीं दूसरी ओर बीजेपी के आईटी सेल से लेकर सांप्रदायिक वैमनस्य बढ़ाने वाले बयान बाजी करने वाले भाजपा नेताओं पर कार्यवाही करना तो दूर उसका संज्ञान लेने तक से पुलिस प्रशासन को जैसे सांप सूंघा हुआ है।