टिहरी। कोरोना संक्रमण के कारण चल रहे लॉकडाउन से ग्रामीण रोजगार पर सबसे ज्यादा संकट पैदा हुआ है। ऐेसे में रोजगार के साधनों को उपलब्ध कराना शासन-प्रशासन का सबसे बड़ा लक्ष्य है। इसी परिपेक्ष्य में एक अच्छी खबर यह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए टिहरी जिले की मनरेगा योजना का अनुमोदन हो गया है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि ग्रामीणों और खासतौर पर विदेश और देश विभिन्न हिस्सों से रोजगार छोड़कर गांव पहुंचे युवाओं की रोजी-रोटी शुरू करने का अभियान शुरू हो जाएगा।
जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने टिहरी जिले की मनरेगा योजना चार अरब 67 करोड़ 73 लाख 61 हजार रूपए का अनुमोदन कर दिया है। यह परिव्यय प्रदेश के 13 जिलों में सबसे ज्यादा है।
लॉकडाउन के कारण लोगों की आर्थिकी पर सबसे ज्यादा संकट आया है। रोजगार के कारण ही गांवों में सबसे ज्यादा पलायन हुआ है। लेकिन कोरोना संक्रमण के बाद अब जीवन का पटरी पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है। जिले में करीब 19 हजार लोग देश-विदेश से अपने गांवों को लौट चुके हैं।
अधिकांश लोग अब गांव में रहकर ही रोजगार करना चाहते हैं। इसलिए रोजगार के साधन मुहैय्या करवाना बड़ी चुनौती है। मनरेगा योजना इसके लिए संजीवनी साबित हो सकती है। जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवाण ने टिहरी जिले की वर्ष 2020-21 की चार अरब 77 करोड़ की मनरेगा योजना का अनुमोदन कर लिया है।
उन्होंने ब्लॉकवार योजनाओं का अनुमोदन किया है। बताया कि जरूरी नहीं है कि आवेदक के पास जॉब कार्ड हो। यदि ग्रामीण रोजगार करना चाहते हैं तो एक दिन पूर्व ग्राम प्रधान अथवा वीडीओ को इसकी सूचना दें। उन्हें रोजगार मिलना शुरू हो जाएगा। उन्होंने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से कोरोना संक्रमण को देखते हुए 100 दिन की बजाए जिले में प्रत्येक ग्रामीण को 150 दिन का रोजगार दिया जाए। बताया कि भिलंगना के सर्वाधिक 80 करोड़, प्रतापनगर 76 करोड़, देवप्रयाग 68 करोड़, जाखणीधार 52 करोड़, चंबा 46 करोड़, नरेंद्रनगर 45 करोड़, थौलधार 43 करोड़, कीर्तिनगर 40 करोड़ और जौनपुर के लिए 14 करोड़ की योजनाएं अनुमोदित की हैं।
उन्होंने ग्रामीणों से सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, सैनिटाईजर का प्रयोग कर रोजगार शुरू करने की अपील की। डीडीओ को निर्देश दिए हैं कि मांग के अनुसार लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाकर चरणबद्ध तरीके से भुगतान करना शुरू करें ताकि उनकी आर्थिकी पटरी पर आ सके।