रुद्रपर। आज हम आपको रूबरू कराते है रुद्रपुर के एसएसपी ऑफिस के सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल में कार्यरत सब इंस्पेक्टर वंदना चौधरी से, जिनका जीवन शुरू से ही काफी संघर्षपूर्ण रहा है। वंदना चौधरी के पिताजी उन्हें एक जज के रूप में देखना चाहते थे, इसीलिए उन्होंने वंदना को एलएलबी और एलएलएम की शिक्षा दिलवाई, लेकिन वंदना के सपने कुछ और ही थे। वंदना ने दूरदर्शन पर आने वाले उड़ान सीरियल को देख कर मन में पुलिस वर्दी के सपने सजा रही थी। वंदना चौधरी पुलिस में भर्ती होने से पहले से ही आईपीएस कंचन चौधरी पूर्व डीजीपी की श्चद्गठ्ठ द्घह्म्द्बद्गठ्ठस्र रही हैं। अत: वंदना चौधरी ने अपने सपनों को वास्तविक रूप दिया और वर्ष 2006 में बतौर कांस्टेबल भर्ती हो गई और 2006 में उसी साल उन्होंने ट्रेनिंग सेंटर फिल्लौर में रहकर विभागीय रूप से एमए इन पुलिस एडमिनिस्टे्रशन में अपनी शिक्षा शुरू की और 2007 में पूरी कर ली। इस पूरे सेशन में इन्होंने चौथा स्थान प्राप्त किया एवं उत्तराखंड को गौरान्वित किया। उक्त एजुकेशन के बारे में पंजाब पुलिस के डीजीपी के द्वारा अपनी पत्रिका में कॉन्स्टेबल के बारे में उनकी एजुकेशन पर चौथा स्थान के बारे में छापा गया और वंदना के सर्टिफिकेट डीजीपी उत्तराखंड को प्राप्त कराएं। इस पर पहली पोस्टिंग वंदना को रुद्रप्रयाग में मिली।
शुरू से ही होनहार होने के कारण वंदना को अच्छे कार्यों के चलते जनपद रुद्रप्रयाग में पर्यटन पुलिस की ट्रेनिंग के बाद रुद्रप्रयाग में केदारनाथ/फाटा/गौरीकुंड जैसी जगहों पर पर्यटन पुलिस में काम दिया गया, जिसकी सराहना, वहां उस समय रहे एसपी नीलेश आनंद भरणे द्वारा की गई और पारितोषिक से भी सम्मानित किया गया। इसके बाद वंदना चौधरी के द्वारा सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के तहत जनपद रुद्रप्रयाग में बतौर मास्टर ट्रेनर सीसीटीएनएस में काम किया। इस प्रोजेक्ट के तहत वंदना ने रुद्रप्रयाग में रहकर सभी कॉन्स्टेबल व एसआई को बेसिक कंप्यूटर की शिक्षा दी।
सीसीटी एनएस के कार्यों से खुश होकर तत्कालीन एसपी वीकेएस कार्की ने प्रशस्ति पत्र से वंदना को सम्मानित भी किया। उसके बाद वंदना की पोस्टिंग जिला ऊधमसिंहनगर में हो गई जहां बतौर कॉन्स्टेबल सीसीटीएनएस कार्यालय में कार्य शुरू कर दिया और अपनी लगन के दम पर कार्यालय में पिछले 10 साल का क्राइम रिकॉर्ड ऑनलाइन कराने में अपनी सहभागिता दी। सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत उनके द्वारा सीएएस सॉफ्टवेयर की ट्रेनिंग यहां पर कांस्टेबल्स और सब इंस्पेक्टर्स को दी गई। जिससे खुश होकर ऊधमसिंहनगर के तत्कालीन एसएसपी नीलेश आनंद भरणे द्वारा उन्हें फिर प्रशस्ति पत्र दिया गया।
वहीं सीसीटीएनएस कार्यालय में अच्छे कार्य के चलते तत्कालीन एसएसपी रिद्धिम अग्रवाल द्वारा भी उन्हें अच्छे कार्य हेतु रिवार्ड दिया गया। इसके बाद वंदना चौधरी का सिलेक्शन वर्ष 2015 में एलआईयू में ऊधमसिंहनगर में उन्हें विदेशी पंजीकरण कार्यालय में हुआ। कार्यालय में अच्छा काम करने हेतु आईपीएस ताकवाले एवं एडिशनल एसपी देवेन्द्र पिंचा के द्वारा कई बार पारितोषिक किया जा चुका है। फिर एलआईयू में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल का गठन मुख्यालय स्तर से किया गया, जिसमें वंदना चौधरी को जनपद ऊधमसिंहनगर की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल की जिम्मेदारी सौंपी गई। इस सेल में वंदना द्वारा सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल में इतनी अच्छी मॉनिटरिंग की गई। उनके कार्यों से खुश होकर इंट मुख्यालय स्तर से डीजी अशोक कुमार एवं एसएसपी बरिन्दरजीत सिंह द्वारा इन्हें पूर्व में भी पुरस्कृत किया जा चुका है।
गत वर्ष 2013 में वंदना चौधरी के पिताजी की हार्ट अटैक के कारण मृत्यु हुई, पिताजी की मृत्यु ने वंदना को हिला कर रख दिया! इससे वंदना के मन में अपने पापा का सपना पूरा करने की टीस रहने लगी। वंदना के पापा उसे हमेशा एक अधिकारी पोस्ट कर देखना चाहते थे। वंदना पारिवारिक एवं विभागीय जिम्मेदारियों में इतना फंस चुकी थी कि जज की तैयारी करना अब नामुमकिन था। अत: वह विभागीय रूप से ही अच्छी पोस्ट पर जाकर अपने पिताजी का सपना पूरा करना चाहते थी, लेकिन इन सब के बावजूद भी वंदना के मन में टीस रहती थी कि वह जज नहीं बन पाई, लेकिन अपने विभाग में बड़े पदों तक जाना है। फिर वंदना ने सब-इंस्पेक्टर बनने का सपना देखा और सन 2011-12 में एसआई की भर्ती का एग्जाम दिया जो पहले ही अटेंप्ट में लिखित में क्वालीफाई कर लिया, लेकिन फिजिकल में कुछ सेकंड के अंतर से दौड़ में बाहर हो गई।
अभी भी वंदना ने हार नहीं मानी थी। कुछ समय बाद सन 2015 में दोबारा एग्जाम दिया और उन्होंने लिखित परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन उसका रिजल्ट कुछ कारणों के रुक गया था। 2017 में फाइनल दौड़ के लिए कॉल आई, उस समय वंदना दो माह की प्रेग्नेंट थी। उसके बावजूद उनके हौसले नहीं डगमगाए। वंदना बताती हंै कि मम्मी और पति ने उनका हौसला बढ़ाया और आखिरकार उन्होंने प्रेग्नेंट होते हुए भी तीन किलोमीटर की रेस पूरी कर ली और बतौर सब इंस्पेक्टर जिस दिन उनका बेटा हुआ, उसी दिन उनका सिलेक्शन एसआई पद पर हुआ, जिसमें उन्हें उत्तराखंड में तीसरा स्थान मिला।
वहीं पुलिस में भर्ती होने के बाद भी वंदना ने प्रयास करना नहीं छोड़ा और सब इंस्पेक्टर बनने के बावजूद भी सन् 2017 में एपीओ उत्तराखंड का एग्जाम भी क्वालीफाई कर लिया, लेकिन मेन ई एंड एएम में डिलीवरी होने के कारण नहीं जा पाई और आज वंदना एसएसपी कार्यालय ऊधमसिंहनगर में सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल में सेवाएं दे रही हैं। जहां आज उनको फिर से अपनी सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु कोरोना वॉरियर्स के रूप में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ऊधमसिंहनगर बरिंदर जीत सिंह के द्वारा सम्मानित किया गया।