उत्तराखंड में आज हेल्थ बुलेटिन के अनुसार 11 नए मामले सामने आए हैं सात मामले प्राइवेट लैब से पॉजिटिव निकले हैं तथा चार मामले टिहरी के बताए गए हैं।
हेल्थ बुलेटिन की रिपोर्ट कहती है कि आज टोटल पॉजिटिव 727 है जबकि पाठकों को याद होगा कि पर्वतजन ने कल उत्तराखंड के टोटल पॉजिटिव 729 बताए थे।
गौरतलब है कि एम्स ऋषिकेश में कल रात 11:06 पर अपडेट्स में रिलीज जारी की थी कि उनके यहां 13 मरीज पॉजिटिव पाए गए हैं।
एम्स का 13 मरीजों का आंकड़ा हेल्थ बुलेटिन से गायब क्यों !
कल रात 11:00 एम द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार ऐम्स की लैब असिस्टेंट 25 वर्षीय युवती के अलावा 45 वर्षीय सिक्योरिटी गार्ड सहित ऋषिकेश के कुल 6 लोग इसमें संक्रमित पाए गए थे। तथा रुद्रप्रयाग के पांच लोग पॉजिटिव पाए गए थे। साथ ही उत्तरकाशी और हरिद्वार के एक-एक व्यक्ति का भी सैंपल पॉजिटिव आया था। कुल 13 मरीज कल रात पॉजिटिव बताए गए थे। फिर बड़ा सवाल यह है कि एम्स द्वारा मीडिया को जारी यह आंकड़ा हेल्थ बुलेटिन से क्यों नदारद है !!
एक अहम सवाल यह भी है कि उत्तराखंड सरकार का कोविड-19 पोर्टल अभी भी उत्तराखंड के कुल संक्रमित की संख्या को 712 बता रहा है। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा था कि कोविड-19 भरोसेमंद है और कोरोना के आंकड़े जानने के लिए कुछ और देखने की जरूरत नहीं है।
किस जिले से हैं प्राइवेट लैब के 7आंकड़े , पर्दा क्यों
एक और अहम सवाल यह भी है कि देहरादून के प्राइवेट लैब से आज जारी 7 मरीजों के जो आंकड़े पॉजिटिव बताए जा रहे हैं, उनका जिक्र जिलों वाले कॉलम में क्यों नहीं है !
आखिर जिन मरीजों की जांच रिपोर्ट प्राइवेट लैब से पॉजिटिव आई है वह किस जिले के हैं यह सरकार क्यों बताना नहीं चाहती !
एम्स की 13मरीजों रिपोर्ट को जोड़ दिया जाए तो अब उत्तराखंड में टोटल कोरोना पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा अब तक 740 पहुंच चुका है।
सवाल यह है कि एम्स ने जब कल रात अपनी रिपोर्ट मीडिया को जारी कर दी थी तो यह आंकड़े उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी किए गए दोपहर 2:00 बजे की हेल्थ बुलेटिन में क्यों नहीं दिखाए गए हैं !
यह भी पढिए : एम्स की कल रात की रिपोर्ट पर आधारित
आखिर यह कैसे हो सकता है कि एम्स मीडिया को अपनी रिपोर्ट जारी कर दें और हेल्थ डिपार्टमेंट को इसकी जानकारी ही ना दें !
क्या उत्तराखंड का सरकारी सिस्टम इतना सुस्त है कि उसने कल रात के आंकड़े अभी तक नहीं जोड़ें !
अथवा क्या यह आंकड़े छुपाने और बताने के पीछे स्वास्थ्य विभाग की कोई और रणनीति है !
आखिर पूरा मामला क्या है, इस पर सवाल भी खड़े होने लगे हैं।
जाहिर है कि मीडिया में अलग-अलग आंकड़े आने से अफवाह और सनसनी का वातावरण तेज होता है। इसलिए यही ज्यादा मुफीद होता कि अलग-अलग लैब और डॉक्टरों के बजाय स्वास्थ्य विभाग खुद आगे आकर इन आंकड़ों को खुद ही पूरी तरीके से जारी करता।
हेल्थ बुलेटिन(727)
कोविड दृष्टि पोर्टल(712)
आरोग्य सेतु (716)