आज 2 जून है। 2 जून की रोटी के लिए उत्तराखंड के लोग वर्षों से दूसरे राज्यों में जाते रहे हैं। आज कोरोना के कारण ही सही लेकिन हमारे लोग उत्तराखंड अपने घरों में आ रहे हैं।
उत्तराखंड लौटे हजारों प्रवासी ऐसे हैं, जो दूसरे राज्यों में रोजगार खत्म होने के बाद अब उत्तराखंड में ही रह जाएंगे। अथवा यहीं पर कुछ स्वरोजगार करना चाहते हैं। उत्तराखंड से बाहर गए यह तमाम लोग किसी न किसी हुनर के माहिर हैं।
ऐसे लोगों के लिए उत्तराखंड सरकार ने स्वरोजगार योजना शुरू की है तथा लोन लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की वेबसाइट msy.uk.gov.in की वेबसाइट पर अब आप ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं।
इस वेबसाइट पर पहले एक आईडी बनानी होगी और उसके बाद आईडी से लॉगिन करके अपना नाम, पता, शैक्षिक योग्यता, मोबाइल नंबर आदि विवरण भर के पंजीकरण करना होगा।
कितना अनुदान कितना लोन
पंजीकृत आवेदकों को सरकार लोन दिलाने में मदद करेगी। लघु उद्योग विभाग इसके लिए योजना के अंतर्गत 20 से 25% अनुदान देगा।
इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 25 लाख रुपए तक लोन मिल सकता है और यदि आप सर्विस सेक्टर अथवा व्यावसायिक गतिविधि शुरू करना चाहते हैं तो अधिकतम ₹10लाख तक का लोन मिल सकेगा।
चार अलग अलग श्रेणी
एम एस एम ई पॉलिसी के तहत स्वरोजगार को चार श्रेणियों में बांटा गया है।
ए श्रेणी में अधिकतम परियोजना की लागत का 25% मार्जिन मनी देय होगी। श्रेणी बी के तहत 20% और सी और डी के अंतर्गत कुल परियोजना लागत का 15% तक मार्जिन मनी देय होगी।
यदि उद्यम दो साल तक सफलतापूर्वक चल गया तो फिर यह मार्जिन मनी अनुदान के रूप में समायोजित कर ली जाएगी।
अंशदान भी जरूरी
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत अंशदान भी जमा कराना होगा। सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों के लिए 10% अंशदान देना होगा तथा विशेष श्रेणी के लाभार्थियों को कुल परियोजना की लागत का 5% अपना अंशदान के रूप में जमा कराना होगा।
इसलिए अलग है यह योजना
उद्योग विभाग के निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल कहते हैं कि यह योजना प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से अलग है।
पहली इसमें खासियत यह है कि इस योजना के अंतर्गत उन स्वरोजगार गतिविधियों के लिए भी लोन मिल सकता है, जो प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के अंतर्गत कवर नहीं है।
दूसरा इस योजना के अंतर्गत मॉनिटरिंग और रिव्यु की भी व्यवस्था की गई है।
तीसरा इस योजना के अंतर्गत राज्य से संबंधित होने के कारण जल्दी लोन मिलने में आसानी होगी।
चौथा स्वरोजगार स्थापित होने के डेढ़ साल या दो साल के अंतर ही सब्सिडी को समायोजित करने की संस्तुति कर दी जाएगी।
पांचवा इस योजना के अंतर्गत लोन देने में बैंक आनाकानी नहीं कर सकेंगे, उनसे लोन ना देने का संतोषजनक कारण पूछा जाएगा
छठी खास बात यह है कि भले ही या योजना पर वासियों के लिए प्राथमिकता के तौर पर तैयार की गई है, लेकिन उत्तराखंड के अन्य लोगों को भी इसके अंतर्गत लोन मिल सकेगा।