उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार अब दलालों के हवाले हो गई है।
त्रिवेंद्र सरकार मे भले ही तीन साल से रोजगार वर्ष मनाया जा रहा हो लेकिन हकीकत यह है कि नौकरियां चहेतों को बाकायदा लाखों रुपए लेकर बांटी जा रही है।
मंत्री ने जारी किया आदेश
पर्वतजन को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार रेखा आर्य द्वारा जारी एक पत्र हाथ लगा है,, जिसमें उत्तरकाशी के चार युवकों को नौकरी लगाए जाने के आदेश दिए गए हैं।
इस आदेश में साफ लिखा हुआ है कि यह लोग शिक्षित बेरोजगार हैं और विभाग में जहां-जहां आवश्यकता हो यथाशीघ्र समायोजित कर दिया जाए।
उत्तरकाशी के नौकरी लगने हेतु धन देने वाले युवक
उत्तरकाशी जिले के डुंडा और चिन्यालीसौड़ तहसील के रहने वाले चार लोगों के नाम बाकायदा राज्यमंत्री रेखा आर्य ने अपने पैड पर लिख कर के दिए हैं। रेखा आर्य ने सचिव पशुपालन को आदेश दिया है कि इन्हें तत्काल नौकरी लगा दिया जाए।
इस पत्र में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि इन युवकों के बारे में कुछ भी ऐसी डिटेल नहीं दी गई है कि इन की शैक्षिक योग्यता क्या है ! तथा यह किस पद के योग्य हैं!
राज्यमंत्री रेखा आर्य ने बस सीधा आदेश दिया है कि “जहां भी आवश्यकता हो वहां लगा दिया जाए।”
एक और खुलासा
इस पत्र के द्वारा एक और खुलासा होता है कि राज्यमंत्री रेखा आर्य अल्मोड़ा सोमेश्वर की रहने वाली हैं और उनका उत्तरकाशी से कोई लेना देना नहीं है। इसका मतलब साफ है कि राज्य मंत्री के स्टाफ में उत्तरकाशी का कोई व्यक्ति है जो इस रैकेट में शामिल है।
पर्वतजन ने जब इसकी तहकीकात की तो यह पता लगा कि राज्यमंत्री रेखा आर्य चार व्यक्तियों को नौकरी लगाने के लिए काफी लंबे समय से दबाव डाल रही हैं।
इन व्यक्तियों से नौकरी लगाने के नाम पर बाकायदा पैसे लिए हुए हैं। पर्वतजन ने अपनी तहकीकात में इसका पता लगाया कि राज्यमंत्री रेखा आर्य के पति इन लोगों को नौकरी लगाने तथा पैसे लेने को लेकर कथित तौर पर शामिल हैं।
बेरोजगार युवकों ने जो पैसे दिए थे, वह संविदा की नौकरी के लिए दिए थे लेकिन जब इन्हें आउटसोर्सिंग से नौकरी लगाए जाने की बात की गई तो फिर उन्होंने साफ मना कर दिया और अपने गांव वापस चले गए।
कैसे वापस होंगे पैसे
इन तीन युवकों के पैसे अभी तक वापस नहीं किए गए। जिसके माध्यम से इन युवकों ने पैसे दिए हैं, वह कर्मचारी राज्य मंत्री रेखा आर्य के स्टाफ में है और इस कर्मचारी ने पर्वतजन को बताया कि यह पैसे राज्यमंत्री रेखा आर्य के पति ने लिए थे और अब वह तत्काल पैसे वापस करने में असमर्थ हैं इसलिए जल्दी ही 15-20 दिन में वह पैसे लौटा देंगे।
ऐसे उठा परदा
पर्वतजन ने जब इस राज्य मंत्री के लेटर हेड पर प्रकाशित मोबाइल नंबर पर बात की तो उस व्यक्ति ने खुद को सोमेश्वर में होने का हवाला देते हुए राज्य मंत्री से एक और नंबर पर्वत जन को प्रदान किया जब इस नंबर पर बात करके पर्वतजन ने अपनी पहचान छुपाते हुए खुद को बेरोजगारों का रिश्तेदार बताते हुए बात की और इस पूरे प्रकरण की डिटेल जाननी चाही तो राज्य मंत्री के स्टाफ ने इसकी जानकारी नौकरी के लिए पैसे लेने वाले स्टाफ को दे दी और फिर उसने पर्वतजन से फोन पर जो बात की उससे इस पूरे प्रकरण से ही पर्दा उठ गया।
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद हो सकता है कि राज्यमंत्री रेखा आर्य के पति पर नौकरी लगाने के लिए पैसे लेने की बात कहने वाले कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया जाए।
लेकिन यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है कि क्या इस पूरे प्रकरण की जांच हो पाएगी !
अथवा जीरो टोलरेंस की सरकार अन्य मामलों की तरह इसे भी रफा-दफा कर देगी !
क्या रेखा आर्य के पास जितने विभाग हैं, उन सभी की जांच नहीं की जानी चाहिए कि आखिर इस तरह के और कितने प्रकरण राज्य मंत्री के विभाग में अभी भी दफन हैं !