गुरुद्वारे पर अवैध कब्जे से भड़का सिख समाज। कहा कब्ज़ा करने वालों का सहयोग न करे सरकार
देहरादून। गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा आढ़त बाजार में पूर्व प्रबंध समिति के सदस्यों, शहर की सिख जत्थेबंदियों, एवं गुरुद्वारा साहिब के आस-पास भंडारी बाघ व कांवली रोड की सिख संगत ने भारी संख्या में एकत्र होकर राजिंदर सिंह राजन परिवार के कई सालो के कब्जे से श्री गुरु सिंह सभा को मुक्त करवा कर निष्पक्ष चुनाव करवाने का निर्णय सर्व मत से लिया गया। आज सवेरे से गुरुद्वारा परिसर में भारी संख्या में सिख युवा एकत्र हुए। राजिंदर सिंह राजन द्वारा पिछले कई वर्षों से श्री गुरु सिंह सभा पर कब्ज़ा किया हुआ है, जिस कारण रजिस्ट्रार सोसाइटीज ने गुरुद्वारा की मान्यता 2014 में खत्म कर दी थी।
चुनाव संबंधी वाद अभी न्यायालय में चल रहा हे। राजेन्द्र सिंह राजन की आयू लगभग 96 वर्ष हो गयी है और अब उन्होंने अपने पुत्र गुरबख्श सिंह राजन को गैर कानूनी ढंग से एक निजी बारात घर में चुनावी ढोंग रच कर, शहर के चंड रईस लोग जो देहरादून क्लब की राजनीती करते आये है, जिनका गुरुद्वारा व सिख संगत से कोई सरोकार नहीं रहा, न सरकार में अपने रसूख इस्तेमाल कर साथ मिलकर गुरुद्वारा सिंह सभा पर कब्ज़ा करने की नाजायज़ कोशिश की जा रही है। जिस से शहर की सिख संगत में भारी रोष है।
आज सर्व मत से फैसला लिया गया कि, 5 जनवरी 2021 को श्री गुरु सिंह सभा परिसर में श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश पर्व समागम का आयोजन होगा। 27 दिसंबर से 2 जनवरी 2021 तक रजिस्ट्रार सोसाइटीज के आदेश अनुसार देहरादून शहर की सभी सिख संगत को सदस्य बनाये जाने का अवसर प्रदान किया जायेगा। जिसके लिए चुनाव समिति का गठन पार्षद देवेंदर पाल सिंह मोंटी, समाजसेवी सरदार इंदर पाल सिंह कोहली की अध्यक्षता में किया गया है। शहर के सभी गुरुद्वारों में यह सदस्यताअभियान चलेगा। 3 जनवरी 2021 को अध्यक्ष पद के लिए नामांकन होगा। 4 जनवरी को नाम वापसी और 5 जनवरी को प्रकाश पर्व समागम के उपरान्त चुनाव होंगे।
चुनाव देहरादून वासी या कोई भी 18 वर्ष से ऊपर के सिख पुरुष या महिला लड़ सकता है। अकाल तख्त साहिब के हुकुमनामा अनुसार केवल अमृतधारी सिख ही अध्यक्ष होगा, जिसका सख्ती से पालन किया जायेगा। मौज़ूद वक्ताओं ने सरकार व शहर के राजनितिक लोगों से आह्वान किया की श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पवित्र स्थान पर कब्ज़ा करने वालों का सहयोग न करे, जो सहयोग करेगा उसका सिख युवा विरोध करेंगे। क्योंकि गुरूद्वारे किसी की निजी संम्पति नहीं है। सारी सिख सांगत के सहयोग से गुरुद्वारा चलता है।