स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने ल एम.के.पी. पी.जी. कॉलेज देहरादून के 45 लाख के ग़बन प्रकरण में उच्च न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करने पर सचिव उच्च शिक्षा, आनंद वर्धन को अवमानना का दोषी मानते हुए उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मनोज तिवारी की एकलपीठ में हुई। मामले की अगली सुनवाई 6 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार एम.के.पी. पी.जी.कॉलेज को विश्विद्यालय अनुदान आयोग से 45 लाख रुपए की धनराशि 2012 में मिली थी, जिसमें ऑडिट रिपोर्ट ने ग़बन का अंदेशा जताया था। इसके बाद समाजसेवी सोनिया बेनीवाल द्वारा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय में उस समय उच्च शिक्षा विभाग की ओर से दाख़िल शपथ पत्र में भी 45 लाख रुपए के इस्तेमाल में गड़बड़ियों की बात मानी गयी थी।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने, तत्कालीन सचिव जीतेन्द्र सिंह नेगी और तत्कालीन प्राचार्या डॉक्टर किरण सूद को सुनवाई का अवसर देने के बाद प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा, आनंद वर्धन से उचित निर्णय लेने को कहा था और अगर गड़बड़ियों की बात पुनः पुष्ट होने की स्थिति में उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा था।
उच्च न्यायलय के इस आदेश से आहत होकर सचिव जीतेन्द्र सिंह नेगी, सर्वोच्च न्यायालय पहुँचे थे जहाँ उनकी याचिका ख़ारिज हो गयी थी और उनकी पुनर्विचार याचिका भी उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दी थी। न्यायालय के आदेशानुसार 18 दिसम्बर 2020 तक प्रमुख सचिव आनंद वर्धन को इस प्रकरण में उचित निर्णय और कार्यवाही कर लेनी चाहिए थी, लेकिन उनके द्वारा अति विलंब किया गया और कोई निर्णय नही लिया गया।
इस वजह से सोनिया बेनीवाल ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाख़िल की, जिसपर न्यायालय के आदेशों की अनदेखी करने पर सचिव उच्च शिक्षा, आनंद वर्धन को अवमानना का दोषी मानते हुए उन्हें अवमानना का नोटिस जारी किया गया है।