स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने टिहरी बाँध और उत्तराखंड में रोज़गार सम्बंधी मुद्दों पर केंद्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सरकार और टिहरी बाँध परियोजना से चार सप्ताह में जवाब मांगा है ।
मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खंडपीठ ने टिहरी बाँध विस्थापितों, वहाँ रोज़गार सम्बंधी अवसरों और राजस्व बढाने के लिए दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई । अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि देहरादून के समाजसेवी अभिनव थापर की जनहित याचिका को न्यायालय ने गंभीरता से लिया और सभी प्रतिवादीयों से चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा।
बताया कि टी.एच.डी.सी.द्वारा संचालित टिहरी बांध में अबतक उत्तराखंड राज्य को मात्र 12% आय अर्जित होती है और बांध की शेष आय उत्तर प्रदेश के साथ भारत सरकार को जाती है, जबकि बांध प्रभावित क्षेत्र टिहरी और आसपास के इलाके केवल उत्तराखंड राज्य में है।
टिहरी बांध के साथ राज्य में दूसरे बांध बनाने से राज्य का पर्यावरण ढांचा बहुत प्रभावित हुआ है और उत्तराखंड राज्य बनने के बाद कई भीषण प्राकृतिक आपदाओं जैसे उत्तरकाशी 2012, केदारनाथ 2013, रैणी 2021 जैसी कई आपदाओं के कष्ट को राज्य ने ही झेला है।
उत्तराखंड में राज्य के युवाओं की बेरोजगारी दर 10.99% जबकि शिक्षित युवाओं की बेरोजगारी दर 17.4% है जो राज्य के युवाओं के लिए बहुत चिंताजनक है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2006 में उत्तराखंड सरकार के उद्योग विभाग ने एक शासनादेश जारी कर राज्य के मूल निवासियों के लिये प्राइवेट कम्पनियों में 70% रोजगार को अनिवार्य किया था । लेकिन आजतक युवाओं को इसका लाभ नही मिल सका है ।
अभिजय नेगी ने ये भी बताया कि खंडपीठ ने इस याचिका के माध्यम से टिहरी बांध से राजस्व और राज्य के युवाओं के रोजगार बढ़ाने संबंधी विषय का संज्ञान लिया और सरकार को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में अपना पक्ष रखने का आदेश दिया।