स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने खटीमा में वक्फ बोर्ड की भूमि पर कमेटी द्वारा अवैध दुकानों के निर्माण करने पर एस.डी.एम.की जाँच रिपोर्ट में अभीतक कोई कार्यवाही नही किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए बोर्ड को नोटिस जारी कर 22 दिसम्बर तक यह बताने को कहा है कि एस.डी.एम.की जाँच रिपोर्ट पर अभी तक क्या कार्यवाही की गई ?
मुख्य न्यायाधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति एन.एस.धनिक की खण्डपीठ ने अगली तिथि 22 दिसम्बर को तय की है।
मामले के अनुसार खटीमा निवासी शादाब रजा ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि खटीमा में जामा मस्जिद और रहमानिया मदरसा में जो वक्फ बोर्ड की भूमि है उसपर वक्फ बोर्ड की कमेटी ने 34 दुकानों का निर्माण करके अपने ही लोगो को आवंटित कर दी।
जबकि वक्फ बोर्ड ने कहा था कि बोर्ड की भूमि पर जो भी निर्माण कार्य किया जाएगा वह बोर्ड के एक्ट के आधार पर किया जाएगा और इसकी सूचना बोर्ड को दी जाएगी।
दुकानों का एलाटमेंट करने के लिए दो समाचार पत्रों में विज्ञप्ति भी जारी करेंगे। परन्तु कमेटी द्वारा इसकी कोई सूचना नही दी गई।
दुकानों के आवंटन करने हेतु एक ही पेपर में विज्ञप्ति जारी की। जिस दिन यह विज्ञप्ति छपी उस दिन उस पेपर के सारे प्रतियां कमेटी ने स्वयं ही खरीद ली ताकि किसी को पता न चल सके । ये सारी दुकानें कमेटी ने अपने ही लोगो को केस रुपये लेकर आवंटित कर दी। जब इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई तो उन्होंने इसकी जांच एस.डी.एम.से कराई ।
जाँच में दो से ढाई करोड़ रुपये का घोटाला पाया गया। जाँच में यह भी कहा गया कि कमेटी के अधिकतर सदस्य ऐसे है जिनपर आपराधिक मुकदमे भी चल रहे है। जबकि वक्फ एक्ट के अनुसार ऐसे लोग कमेटी के सदस्य नही हो सकते।
यह रिपोर्ट जब वक्फ बोर्ड देहरादून को भेजी गई तो बोर्ड ने कमेटी को भंग कर एस.डी.एम.को प्रशासक नियुक्त कर दिया। कुछ समय बाद बोर्ड ने अपना यह आदेश राजनीतिक दबाव में आकर वापस ले लिया और कमेटी को फिर से बहाल कर दिया।