रिखणीखाल-
कोटद्वार के चंद्रमोहन सिंह नेगी बेस गवर्नमेंट कंबाइंड अस्पताल में चिकित्सकों ने मानवता की हदें पार करते हुए पीड़िता का सफल प्रसव कराने से साफ इनकार कर दिया। जिसके चलते प्रसव पीड़ा से करवाती महिला को प्राइवेट अस्पताल ले जाकर सफल प्रसव कराना पड़ा।
उत्तराखंड सरकार के लाभ खुदा और घोषणाओं के बाद भी सरकारी अस्पतालों की हालत आज खसता बने हैं।
बेस अस्पताल कोटद्वार जनपद गढ़वाल के रिखणीखाल,जयहरीखाल,नैनीडान्डा,द्वारीखाल,यमकेश्वर,दुगड्डा,कल्जीखाल,बीरोखाल,पोखडा आदि विकास खंडों का प्रमुख अस्पताल है।
रिखणीखाल में भी विश्व विख्यात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है लेकिन वहाँ पर भी स्वास्थ्य सेवाये चाक-चौबंद नहीं है।
यह मामला रिखणीखाल प्रखंड के विषम भौगोलिक परिस्थितियों में बसे गांव ” बराई धूरा” की है।जहाँगाँव के एक निर्धन व गरीब परिवार की पूजा रावत पत्नी अशोक रावत का प्रसव होना था जिसे बेस अस्पताल कोटद्वार में प्रसव कराने के लिए ले गये,लेकिन वहाँ के चिकित्सकों ने सफल प्रसव कराने को साफ मना कर दिया।
आनन फानन में प्रसव पीड़ा से कराहती महिला को प्राइवेट अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ा,जहाँ उसकी सफल सर्जरी करायी गयी।
सरकारी अस्पताल से प्राइवेट में जाने के कारण एक गरीब परिवार को 35,000 का आर्थिक बोझ किसी तरह कर्ज लेकर चुकाना भारी पड़ा।
अब सवाल यहां खड़ा होता है कि विज्ञापन,बड़े-बड़े पोस्टर, भाषणबाजी और अखबारों में अपनी उपलब्धियां गिनाने वाली सरकार आखिर धरातल पर कब स्वास्थ्य सुविधाओं को सही करेंगी।