अनुज नेगी
देहरादून। हमेशा से विवादों में रहने वाला महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग इस बार एक ऐसे अधिकारी के कारण फिर विवादों में आ गया,जिसके कारण बाल विकास के दर्जनों ऑउट सोर्स कार्मिकों पर बेरोजगारी की तलवार लटकने लगी है,मगर विभाग के जिम्मेदार अधिकारी AC के कमरों से बाहर आने का नाम ही नही ले रहे है।
मामला बाल विकास विभाग उत्तराखण्ड में हो रही मनमानी का है ,विभाग में केन्द्र सरकार संचालित विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है,जिसका वित्तीय वहन केन्द्र सरकार द्वारा किया जाता है। फिर भी उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा समस्त योजनाओं का संचालन विधिवत नहीं हो पा रहा है।
केवल उपयोग हो रहा है तो बजट जिसका कोई विधिवत नियमानुसार उपयोग नहीं किया जा रहा है।
बतादें कि बाल विकास में सभी योजनाओं में मानव संसाधन उपलब्ध कराने हेतु आउट सोर्स एजेंसी का चयन किया जाता है,जिसमें केंद्र सरकार से निर्धारित पदों को आउटसोर्स कम्पनी के माध्यम से भरा जाता है। हाल ही में पोषण अभियान योजना अंतर्गत मानव संसाधन उपलब्ध कराने हेतु आउट सोर्स एजेंसी का चयन किया गया इसमें विभाग को केंद्र सरकार से अभी योजनाओं के संचालन हेतु ड्राफ्ट गाइडलाइन दी गई थी जिस पर सभी राज्यों से सुझाव मांगे गए थे। जिस पर उत्तराखण्ड राज्य ने ना तो कोई सुझाव दिया बल्कि ड्राफ्ट गाइडलाइंस के अनुसार कंपनी को मानव संसाधन उपलब्ध कराने हेतु कहा गया,जबकि अभी भारत सरकार द्वारा फाइनल गार्डन नहीं दी गई है।वहीं अन्य राज्यों में अभी तक पूर्व में भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के अनुसार ही पद भरे गए हैं, किंतु विभाग के टेलेंटेड नोडल अधिकारी के बिना सूझबूझ किसी तरह का फैसला लेकर आधे लोगों को बेरोजगार कर दिया,विभाग के नोडल अधिकारी द्वारा भारत सरकार से किसी तरह की बात ही नही की गई ना ही अन्य राज्य की भांति उक्त गार्डन पर किसी तरह के सुझाव दिए गए।
आपको बता दें कि वर्तमान में अन्य राज्यों में भारत सरकार की पूर्व में जारी गाइडलाइन का ही पालन किया जा रहा है और सभी को रोजगार दिया गया किंतु नोडल अधिकारी द्वारा किसी तरह का इस प्रकरण पर ध्यान नहीं दिया गया, जिस कारण आधे से ज्यादा लोगों को बेरोजगार होना पड़ रहा है।
इसी प्रकरण में एक मामला और भी है इसमें आउटसोर्स कर्मियों के वेतन से जीएसटी की कटौती की जा रही है जिस पर भारत सरकार द्वारा स्पष्ट कहा गया है पोषण अभियान योजना के अंतर्गत किसी भी कार्मिक के वेतन से किसी तरह की कोई कटौती जीएसटी एवं सर्विस चार्ज नहीं की जाएगी किंतु यहां पर भारत सरकार के निर्देशों को दरकिनार करते हुए जीएसटी एवं सर्विस चार्ज की कटौती कार्मिकों के वेतन से कटौती की जा रही हैं। इस पर नोडल अधिकारी द्वारा किसी तरह का कोई कार्य नहीं किया गया जबकि अन्य राज्यों में जीएसटी एवं सर्विस चार्ज विभाग द्वारा आउटसोर्स कंपनी को दिया जाता है सिर्फ उत्तराखंड राज्य में ही कार्मिकों के वेतन से कटौती की जा रही है जिससे उन्हें अतिरिक्त आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है जिसका जिम्मेदार सिर्फ नोडल अधिकारी है।
आखिर ऐसे महत्वपूर्ण योजना की जिम्मेदारी एक ऐसे लापरवाह अधिकारी को देना उचित है जिससे बेरोजगारी बढ़ी साथ ही योजना का क्रियान्वयन भी सुचारु रूप से नहीं हो पा रहा है,ओर ऐसे अधिकारी को ऐसे महत्वपूर्ण योजना का प्रभार नहीं दिया जाना चाहिए।
इस पूरे मामले पर पर्वतजन में नोडल अधिकारी का बयान लेने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कॉल नहीं उठाई। उनसे बात होने के बाद उनका पक्ष भी पब्लिक कर दिया जाएगा।