रिपोर्ट ललित बिष्ट
आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर जहां हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित यह महोत्सव क्या सही में साकार हो रहा है या महज उनके नाम पर खानापूर्ति की जा रही है!
इस्की बानगी हमें इन तस्वीरों में नजर आ रही है।यह तस्वीरें रा0बा0इ0का0 ताड़ीखेत,प्रेम विद्यालय इंटर कॉलेज ताड़ीखेत,प्राइमरी पाठशाला ताड़ीखेत,खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय ताड़ीखेत एवं सबसे महत्वपूर्ण गांधी कुटीर ताड़ीखेत को जाने वाला रास्ता है।
इस रास्ते की हालत यह बयां करती है कि यह जानवरों के आने जाने का रास्ता है। इसी स्थान पर गांधी जी ने अपना एक दिन का प्रवास किया था,यही पर उनकी एक छोटी सी सुंदर कुटिया है।
देश विदेश के पर्यटक इसी गांधी कुटी की एक झलक पाने के लिए आते हैं,परंतु क्या इस राह की हालत देखकर लगता है कि यह पर्यटन हब बन पाएगा,क्या जो पर्यटक एक बार यहां आएगा और वह दूसरे लोगों को भी आने की सलाह देगा!
हमारे नौनिहाल जो इस देश का भविष्य हैं, रोज इस कीचड़ भरे राह से मुश्किलों का सामना कर विद्यालय पहुंचते हैं,उनसे बेहतर शिक्षा की उम्मीद की जा सकती है।
अक्सर नौनिहाल इस कीचड़ भरे रास्ते मे पैर फिसलने से कीचड़ में गिर जाते है या कभी गाड़ियों के टायरों से कीचड़ उछलने से बच्चों की यूनिफॉर्म गंदी हो जाती है।
अनेकों बार जनप्रतिनिधियों के माध्यम से शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी इस कच्ची सड़क की सुध लेने वाला कोई नही है।