राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष डीके कोटिया ने आज इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद से ही अफसरशाही और राजनीति दोनों ही क्षेत्रों में हलचल का माहौल देखने को मिल रहा है।
इस इस्तीफे की पीछे की वजह लोग सीएम धामी द्वारा भ्रष्टाचारियों पर चलाए जा रहा हंटर भी मान रहे हैं। अध्यक्ष डीके कोटिया का अपने रिटायरमेंट से सिर्फ दो महीने पहले इस्तीफा देने पर सोशल मीडिया पर लोग सवाल उठा रहे हैं कि पांच साल पूरी मौज करने के बाद रिटायरमेंट से दो महीने पहले इस्तीफा देने की आख़िर क्या वजह रही ! कहीं जांच में गड़बड़ियों का खुलासा होने के डर से ही तो नहीं इस्तीफा दिया है!
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी छवि को साफ और जीरो टॉलरेंस की (जो हमेशा बातें होती हैं) उसके अनुरूप बनाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।
सीएम धामी पिछले कुछ समय से लगातार भ्रष्टाचारियों पर हंटर चलाए हुए हैं और अब सीएम धामी आयुष्मान योजना के पीछे हो रहे भ्रष्टाचार की परतें उधेड़ कर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर हंटर चलाने की तैयारी में जुटे हैं।
दरअसल,आयुष्मान योजना में फिजूल के खर्चों पर करोड़ों रुपये ठिकाने लगाने की शिकायत थी। जो पैसा सरकार आयुष्मान मैनेजमेंट को लोगों को पांच लाख का निशुल्क इलाज देने के लिए दे रही थी, उस बजट को अफसर अपनी सुविधाओं पर खर्च करते रहे।
सबसे पहले आईटी पार्क में शानदार होटलनुमा ऑफिस किराए पर लिया गया। इस ऑफिस में फर्नीचर, सोफे, उपकरणों, एलईडी टीवी पर करोड़ों का बजट ठिकाने लगाया। यहां अफसरों के कमरों में लाखों के सोफे, लाखों के टीवी लगाए गए।
इसके बाद भी जब मन नहीं भरा तो अपने चाहेतो को भर भर कर नौकरियां बांट दी और यहां भर्ती कर लिया। इस भर्ती पर भी कई सवाल उठे। साथ ही आयुष्मान योजना में अर्जी फर्जी, सुविधा विहीन अस्पतालों को योजना से जोड़कर करोड़ों का खेल खेला जा रहा है। जिससे अफसर तो सुख भोग रहे हैं लेकिन राज्य को जमकर आर्थिक नुकसान पहुंच रहा है।
इन अफसरों ने कर्मचारी संगठनों के सामने सरकार की खूब फजीहत कराई। ना कर्मचारियों के मेडिकल बिलों का कभी समय पर निस्तारण किया और ना ही किसी कर्मचारी को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिया।
आयुष्मान योजना में गड़बड़ियों को लेकर कर्मचारी संगठन भी लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। सचिवालय संघ से लेकर अधिकारी कर्मचारी समन्वय समिति समेत सभी बड़े कर्मचारी संगठनों ने प्राधिकरण पर सवाल उठाए रखे हैं। कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने बड़े-बड़े आरोप इन पर लगाए। गोल्डन कार्ड के नाम पर हर साल कर्मचारियों से हो रही करोड़ों की लूट साथ ही दवाइयां मेडिकल जांच तक को योजना में शामिल न करने के आरोप इन पर लगे। बड़े अस्पतालों को पैनल में शामिल नहीं किया गया है।
अब इतनी शिकायतों के बाद जब धामी ने इनका संज्ञान लिया तो सबसे पहले स्वास्थ्य प्राधिकरण से अरुणेंद्र चौहान को बाहर का रास्ता दिखाया। अरुणेंद्र चौहान के तबादले को एक हफ्ता भी नहीं हुआ कि अब अध्यक्ष डीके कोटिया ने भी इस्तीफा दे दिया।
आईएएस अफसर रहे डीके कोटिया ने सरकारी पद से रिटायर होते ही सर्विस ट्रिब्यूनल में ज्वाइन किया। ट्रिब्यूनल भी उस दौरान बैकडोर भर्ती को लेकर सुखिर्यों में रहा। ट्रिब्यूनल में भी कई बैकडोर भर्ती हुई। ट्रिब्यूनल से कार्यकाल पूरा करते ही स्वास्थ्य प्राधिकरण में अध्यक्ष का पद संभाल लिया। साथ ही स्पीकर ऋतु खंडूडी ने भी विधानसभा भर्ती की जांच का जिम्मा भी डीके कोटिया को ही दिया था।
अब देखने वाली बात होगी कि सीएम धामी का हंटर किस किस भ्रष्टाचारी अफ़सर पर पड़ता है।