अगर बीते कुछ घटनाक्रमों पर गौर करें तो नीति आयोग के सीइओ अमिताभकांत ने बीते 26 अक्टूबर को बताया कि पब्लिक सेक्टर की 34 कम्पनियों के विनिवेश के द्वारा सरकार 72500 करोड़ रु इकट्ठा करेगी। इन 72500 करोड़ रु. की राशि में 46500 करोड़ रु. माइनाॅरिटी स्टेक सेल के द्वारा, 11000 करोड़ रु. लिस्टिंग आॅफ पीएसयू इन्श्यूरेंस कम्पनी के द्वारा तथा 15000 करोड़ रु. स्ट्रेटेजिक डिसइन्वेस्ट के द्वारा जुटाए जाऐंगे |आई.एम.पी.सी.एल कोे स्ट्रेटेजिक डिसइन्वेस्ट के तहत पूर्णतः 100 प्रतिशत निजी हाथों में बेचा जाऐगा। आई.एम.पी.सी.एल भारत सरकार की मिनी नवरत्न कम्पनियों में शुमार रही है। नैनीताल-अल्मोड़ा जिले की सीमा पर स्थित इस कारखाने की विशेष महत्ता है। विश्वविख्यात कार्बेट नेशनल पार्क की सीमा से लगते इस कारखाने के पास 100 साल की लीज पर 40.3 एकड़ जमीन समतल जमीन है। जिसमें कारखाने के साथ स्टेट बैंक की शाखा, कुमाऊं मण्डल विकास निगम का रिर्जोट भी लगा हुआ है। आई.एम.पी.सी.एल की ही 4.6 एकड़ भूमि नैनीताल जिले के रामनगर शहर में भी है। नीति आयोग की सिफारिशों अनुरुप सरकार के निवेश और लोक परिसम्पति प्रबन्धन विभाग (डी.आई.पी.ए.एम) ने आई.एम.पी.सी.एल को बेचने के लिए बीते 16 नवम्बर को 11 सदस्यी कमेटी गठित कर दी है।इस कमेटी ने कारखाने की 40.3 एकड़ भूमि व रामनगर, की 4.6 एकड़ भूमि भवन, मशीनें व अन्य सामग्री की कीमत आंकने के लिए टेन्डर भी जारी कर दिए हैं। जो कि 15 जनवरी को दिल्ली स्थित आयुष भवन में खाले जाऐगे। भूमि,भवन मशीनों आदि की बाजार दर पर कीमत के निर्धारण के बाद कारखाने को निजी हाथों में बेच दिया जाऐगा।आई.एम.पी.सी.एल के 98.11 प्रतिशत शेयर केन्द्र सरकार के अधीन आयुष मंत्रालय के पास हैं तथा 1.89 प्रतिशत शेयर राज्य सरकार के अधीन कुमाऊं मण्डल विकास निगम के पास है।
आयुष मंत्रालय द्वारा 20 दिसम्बर को जारी निविदा में आई.एम.पी.सी.एल की सम्पत्ति का कुल मूल्य 58.79 करोड़ रु. तथा कम्पनी का वार्षिक टर्नओवर 66.45 करोड़ रु बताया गया है। आई.एम.पी.सी.एल में 120 नियमित कर्मचारी/श्रमिक हैं जिसमें से मैनेजमेंट के अधिकारियों की संख्या 21 है। 200 से अधिक ठेका श्रमिक भी कारखाने में काम करते हैं।
जबकि यहां यह तथ्य भी महत्वपूर्ण है कि
केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम इंडियन मेडिसीन्स फॉर्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आईएमपीसीएल) को अल्मोड़ा जिले के मोहन में 1978 में स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के औषधालयों, केंद्रीय आयुर्वेद और यूनानी अनुसंधान परिषद की इकाईयों और राज्य सरकार के संस्थानों की जरूरतों की पूर्ति के लिए आयुर्वेद और यूनानी औषधियों का निर्माण करना बताया गया। यह इकाई अच्छे निर्माण का उदाहरण है। कंपनी ने 300 से अधिक आयुर्वेदिक और यूनानी दवाओं का निर्माण किया । 2005-06 में आईएमपीसीएल ने रिकॉर्ड 8.42 करोड़ रूपए की बिक्री की। यह तथ्य स्वयं आयुष मंत्रालय की साइट पर मौजूद हैं | बावजूद इसके मौजूदा सरकार की मंशा समझी जा सकती है |
कारखाने की भूमि पर लगे कुमाऊं मंडल विकास निगम के रिजोर्ट में नियमित व अनियमित कर्मचारियों की संख्या लगभग दर्जन भर से अधिक है। पहाड़ी क्षेत्र में लगे इस कारखाने से वहां के कर्मचारियों को ही नहीं बल्कि आसपास की स्थानीय आबादी को भी रोजगार मिलता है। गोबर के कंडे, गौ मूत्र व जड़ीबूटियां आदि सप्लाई करके स्थानीय व आसपास की आबादी की जीविका भी इस कारखाने से चलती है। अल्मोड़ा जिला का नाम वर्ष 2011 की जनगणना में नकारात्मक जनसंख्या वृद्धि दर वाले जिले के रुप में दर्ज है।इस बात में कोई दो राय नहीं कि आई.एम.पी.सी.एल के विनिवेशीकरण से क्षेत्रीय जनता के बीच में रोजगार का संकट और भी ज्यादा गहराएगा जो कि पहाड़ों से पलायन को बढाने वाला ही साबित होगा।
बताया जा रहा है कि जानबूझकर निजी कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के लिए भारत सरकार की इस मिनी नवरत्न कम्पनी को एक साजिश के तहत बीमार घोषित किया गया है। अल्मोड़ा जिले के पहाड़ी ढालदार क्षेत्र में 40 एकड़ भूमि का समतल टुकड़ा मिल पाना आसान नहीं है। भूमि के मालिकाने की दृष्टि से भी आई.एम.पी.सी.एल की डील किसी भी पूंजीपति के लिए बेहद बेशकीमती है।
आई.एम.पी.सी.एल के विनिवेश के विरूद्ध कारखाने के कर्मचारियों व क्षेत्रीय जनता में आक्रोश पनप रहा है जो जल्द ही सामने आ सकता है। समाजवादी लोक मंच के सहसंयोजक मुनीष कुमार कहते हैं कि सरकार के योजनाबद्ध तरीके से कारखाने को निजी क्षेत्र के हाथों में सौंपने के जनविरोधी फैसले का व्यापक आंदोलन चलाकर विरोध किया जायेगा |