रिपोर्ट: जयप्रकाश नोग्ई
देवप्रयाग — नरेंद्रनगर वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी जीवन मोहन दगड़े और उपप्रभागीय वनाधिकारी अनिल कुमार पैन्यूली ने देवप्रयाग माणिकनाथ रेंज का वार्षिक कार्यालय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने फायर सीजन को ध्यान में रखते हुए प्यासी, देवप्रयाग और माणिकनाथ रेंज की सीमाओं का भी फील्ड भ्रमण किया।
इस अवसर पर वन्यजीव-मानव संघर्ष की रोकथाम हेतु विभिन्न क्षेत्रों में लगाए गए एआई कैमरे, जीएसएम कैमरे, ट्रैप कैमरे, एनाइडर और फॉक्स लाइट जैसे उपकरणों का भी निरीक्षण किया गया। प्रभागीय वनाधिकारी जीवन मोहन दगड़े ने गश्त बढ़ाने, जनजागरूकता अभियानों को तेज करने और वनों में आग लगने की घटनाओं को रोकने हेतु सभी रेंज अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए।
उन्होंने वन कर्मचारियों को गांव-गांव जाकर ग्रामीणों को वनाग्नि से बचाव के तरीके समझाने और वन संरक्षण के महत्व पर जागरूक करने का आह्वान किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि वनाग्नि की किसी घटना की सूचना मिलती है तो तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर आग को नियंत्रित किया जाए, ताकि वन्यजीवों और वनों की रक्षा की जा सके।
मनिकनाथ रेंज के वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह रावत ने जानकारी दी कि उनकी रेंज में 20 वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन किया गया है। इसके अतिरिक्त 100 से अधिक गोष्ठियां आयोजित कर ग्रामीणों को वनाग्नि के प्रति जागरूक किया गया है। स्कूलों, पंचायत भवनों और गांवों में पोस्टर, पंपलेट और बैनर के माध्यम से भी जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। दूरस्थ क्षेत्रों में लाउडस्पीकर के माध्यम से भी जानकारी प्रसारित की जा रही है।
वन विभाग ने ग्रामीणों से अपील की है कि खेतों में खरपतवार या फसलों के अवशेष न जलाएं, और यदि आवश्यक हो तो सुबह के समय अपनी उपस्थिति में ही सुरक्षित तरीके से जलाएं। यदि किसी व्यक्ति को वन क्षेत्र में आग लगाने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ वन अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वनाग्नि की घटनाओं की सूचना निकटतम क्रू स्टेशन, वन चौकी या रेंज कार्यालय को दी जा सकती है। साथ ही टोल फ्री नंबर 18001804141 या 1926 पर कॉल कर अथवा ‘फॉरेस्ट फायर उत्तराखंड’ मोबाइल ऐप के माध्यम से भी जानकारी साझा की जा सकती है।
निरीक्षण के दौरान वन क्षेत्राधिकारी मदन सिंह रावत, उपवन क्षेत्राधिकारी सुखदेव प्रसाद बडोनी, फायर वॉचर्स और दैनिक श्रमिक भी मौजूद रहे।