सत्ता मिलते ही वीर चंद्रसिंह गढ़वाली नजर आते हैं कम्युनिस्ट। उनके नाम पर वोट बटोरे, लेकिन उन्हें नहीं मिला इंसाफ
– गढ़वाल रेजीमेंट आज भी मानती है अपराधी, मौत होने पर भी नहीं दी सलामी
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आज जयंती है। राज्य गठन के बाद उनके नाम की कई योजनाएं संचालित हैं। चुनाव के समय उनके नाम पर वोट भी बटोरे जाते हैं, लेकिन सत्ता मिलते ही वीर चंद्रसिंह गढ़वाली कम्युनिस्ट बन जाते हैं। भाजपा-कांग्रेस उन्हें राष्ट्र की विरासत से कहीं अधिक वोट बैंक का जरिया मानते हैं।
वो पेशावर कांड के नायक बने थे और आज भी हीरो हैं, लेकिन गढ़वाल रेजीमेंट सेंटर के रिकार्ड में वो आज भी अपराधी हैं। सब जानते हैं कि, फौज में देश से बड़ी पलटन होती है। यही कारण है कि जब पेशावर कांड के नायक का निधन हुआ तो गढ़वाल राइफल्स ने उन्हें सलामी देने से इनकार कर दिया। सब जानते हैं कि, वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की आर्थिक हालत कितनी खराब थी कि बैंक ने उनके घर पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा दिया था। यदि हेमवती नंदन बहुगुणा उनकी मदद नहीं करते तो मासी सैंणीसेरा का उनका घर कुर्क हो जाता।
यदि हम उनको सच्चा सम्मान देना चाहते तो प्रदेश सरकार विधानसभा में उनको दोषमुक्त करने के लिए कोई प्रस्ताव लाती ताकि गढ़वाल रेजीमेंट की रिकार्ड बुक से उन पर अपराधी के ठप्पे को हटाया जाता। देश की आजादी के 73 साल और राज्य गठन के 20 साल बाद भी उनको इंसाफ नहीं मिला। पेशावर कांड के नायक को भावभीनी श्रद्धांजलि।