मनोज नौडियाल
कोटद्वार। पूरे विश्व में कोरोना महामारी के चलते कई मौतें हो गई है और कई लोग इसके संक्रमण में आ रहे हैं । सब लोगों को अपनी जिंदगी का डर सता रहा है।
वहीं डॉक्टर व चिकित्सीय टीम देवदूत बनकर कोरोना महामारी का सामना कर रहे हैं। जरा सी असावधानी उनकी जान जोखिम में डाल सकती है। परिवार की जान जोखिम में डाल सकती है। पर, वे ऐसे मुश्किल समय में भी डटे हैं। एक ही मकसद है कोरोना को हराना है, जिंदगी को बचाना है।
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। संक्रमित व्यक्ति से उसके अपने तक दूरी बनाए हुए हैं, ऐसे समय में उनके इलाज में लगे डॉक्टर और चिकित्साकर्मी अपना कर्तव्य पूरी निष्ठा के साथ निभा रहे हैं। इसके लिए उन्हें अपने परिवार से भी दूरी बनाकर रहना पड़ रहा है। शायद इसीलिए उन्हें धरती का भगवान कहा जाता है।
कोरोना के आतंक का आलम यह है कि जिन देवालयों में पहुँचकर लोग तमाम तरह के खतरों से महफूज महसूस करने लगते थे, आज उनके कपाट भक्तों के लिए बंद हो चुके हैं।मूर्तिपूजक हिन्दू खुद अपने भगवानों को कोरोना के कहर से बचाने के लिए मास्क इत्यादि पहनाने का उपक्रम चला रहे हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर ही उम्मीद की आखरी किरण बनकर सामने आए हैं।
कोटद्वार में कोरोना वायरस का एक पॉजिटिव केस मिला है, जिसे राजकीय बेस चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया है। कोरोना का नाम सुनते ही जहां लोग खौफजदा हो जा रहे हैं, वहीं राजकीय बेस चिकित्सालय के डॉक्टरों की टीम पूरे मनोयोग से उनके इलाज में जुटी है। कोरोना पॉजिटिव मरीज के इलाज में लगी टीम के मुखिया हैं फिजिशियन डॉ. जेसी ध्यानी।
कोरोना वायरस के शिकार रोगी व संदिग्ध रोगियो की सेवा करते-करते खुद को होम कोरोनटाइल करने वाले डाक्टर जे.सी.ध्यानी व डाक्टर सुनील शर्मा कोटद्वार में सबसे बड़े नायक के रूप में उभरे हैं।
मां पिता ने कहा- डटे रहो, बेटे ने भी बढ़ाया साहस : डाक्टर सुनील
नोडल अधिकारी टीम में डॉ. सुनील शर्मा ने बताया कि उनके परिवारीजन रोज फोन करते हैं।माँ जी व पिताजी समझाते हैं कि यह मौका बार-बार नहीं आता है। चिकित्सक बनने का जो संकल्प लिया है, उसे पूरा करो और डटे रहो। इतना जरूर है कि वे इस बात को भी पूछते हैं कि बचने के लिए जो उपकरण होने चाहिए वे हैं या नहीं। उन्होने बताया कि उनके बडे बेटे ने भी कहा कि पापा सरकार जिस चीज की सरकार आपको तनख़्वाह देती है उस काम से पीछे मत हटना ।परिवारजनों व मित्रों ने साहस बढाया है ।
परिवारजनों ने बढाया हौसला – डाक्टर जे.सी.ध्यानी
डाक्टर ध्यानी ने बताया कि जब डाक्टरी का कोर्स कर रहा था, तब मन में कुछ अलग करने की ख्वाहिश थी। इसलिए संक्रामक रोगों से लोगों की जान बचाना जुनून बन गया। कोरोना वायरस की आमद पर परिजनो को चिंता तो हुई पर उन्होने इसे ड्यूटी का हिस्सा बताते हुए अपने कर्तव्य का निर्वहन करने की बात कही।परिवारजन बस बचाव की गाइडलाइन फॉलो करने का निर्देश देना नहीं भूलते हैं। सुबह हो या शाम जब भी बात होती है तो बचके रहना… कहना नहीं भूलते। परिवारजन है तो उनकी चिंता लाजिमी है। रहा सवाल खुद के बचने का तो मैं सारे नियम फालो कर रहा हूँ व जनता से अपील करता हूँ कि घर पर रहे सुरक्षित रहे।