जल रंग की दुनिया के विभिन्न आयामों से रूबरू कराने के उद्देश्य से देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी के फाइन आर्ट्स विभाग में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने इंडस्ट्रियल एक्सपर्ट्स की देखरेख में जलरंग की बारीकियों को जाना और अपनी शंकाओं का निवारण किया।
मांडूवाला स्थित देवभूमि उत्तराखंड यूनिवर्सिटी में आयोजित जलरंग कार्यशाला में मुख्य अतिथि के तौर पर दिल्ली से आये कला विशेषज्ञ और ग्राफिक डिज़ाइनर शशांक शुक्ला उपस्थित रहे। इस दौरान उन्होंने रंग संयोजन, रंगों के विभिन्न टोन्स का प्रयोग सहित विभिन्न तकनीकी पहलुओं पर छात्रों के साथ चर्चा की साथ ही सजीव दृश्य चित्रण प्रस्तुत किया।
शशांक ने कहा कि जलरंग की दुनिया में गोते लगाना जितना आसान है उतना ही कठिन भी, ये कलाकार की कुशलता पर निर्भर करता है। इसलिए निरंतर अभ्यास और तकनीक छात्रों को जलरंग की दुनिया में कुशल कलाकार के रूप में पहचान दिला सकती है। कार्यशाला के दौरान छात्रों ने जलरंग को लेकर अपनी शंकाएं भी साझा कीं और प्रशिक्षण के माध्यम से उनका निवारण भी जाना। इस दौरान छात्रों द्वारा सजीव जलरंग कला का भी प्रस्तुतीकरण किया गया। कार्यक्रम के उदघाटन अवसर पर डीन स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म एंड लिबरल आर्ट्स प्रो दीपा आर्या ने कहा कि हमारा लगातार प्रयास रहा है कि विशेषज्ञों की देखरेख में कार्यशालाएं आयोजित होती रहें ताकि छात्र एक कुशल कलाकार के तौर पर रंगों की दुनिया में कल्पना की उड़ान भर सकें। जलरंग कार्यशाला के दौरान कार्यक्रम संयोजक डॉ राजकुमार पांडेय, कुणाल सडोत्रा, पूनम पाल, पूजा पांडेय, मोहन विश्वकर्मा सहित सभी छात्र उपस्थित थे।