उत्तराखंड में भाजपा सरकार का दोहरा चरित्र
भाजपा का तोता कहे जाने वाली सीबीआई ने आखिर आज उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत पर स्टिंग प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर ही लिया। हालांकि चौंकाने वाली बात यह है कि, हरीश रावत के साथ ही भाजपा की फिलहाल त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत पर भी सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है। इसके साथ ही समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा को भी सीबीआई ने अपनी FIR में नामित कर लिया है। सीबीआई ने उक्त तीनों पर जो मामला दर्ज किया है वह एक स्टिंग के आधार पर किया गया है। यह स्टिंग समाचार प्लस चैनल के सीईओ उमेश कुमार शर्मा ने 25 मार्च 2016 को उस समय किया था जब हरीश रावत प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं थे और तब उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू था।
रावत पर आरोप है कि, उन्होने अपनी सरकार को विधायकों का समर्थन देने के बदले में खरीद फरोख्त की बात स्टिंग में कही थी। सीबीआई ने हरीश रावत पर जो मामला दर्ज किया है वह पद पर रहने वाले किसी जनता के सेवक पर दर्ज किया जाता है। जो धाराएं लगाई गई है वह हरीश रावत पर कितनी सही और कितनी गलत है, यह तो हाईकोर्ट नैनीताल ही तय करेगा। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि, जिस पत्रकार उमेश कुमार शर्मा के स्टिंग पर हरीश रावत पर सीबीआई ने मुकदमा दर्ज किया है, वही पत्रकार पिछले 1 साल से त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार की पोल खोलने में लगे हुए हैं। यही नहीं बल्कि समाचार प्लस के सीईओ उमेश कुमार एक के बाद एक त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके रिश्तेदारों के स्टिंग जनता के सामने ला रहे हैं। शायद ही कोई दिन बचता होगा जब उमेश कुमार त्रिवेंद्र सिंह रावत के किसी घपले और घोटाले का पर्दाफाश ना करते हो। उमेश कुमार सीना ठोक कर त्रिवेंद्र सिंह रावत को समय-समय पर चैलेंज भी करते रहते हैं कि, अगर मुख्यमंत्री में दम है तो वह उनके खिलाफ एक्शन लेकर दिखाएं।
उमेश कुमार के आए दिन सामने आ रहे स्टिंग के मद्देनजर प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए और देखना चाहिए कि, वह कितने दूध के धुले हुए हैं जो खुद के दामन पर लगे दाग पर चुप्पी साधे बैठे है? सुलगता सवाल यह भी है कि, क्या केंद्र सरकार को सिर्फ पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का ही स्टिंग दिखाई देता है ? क्या वह उसी पत्रकार द्वारा उनके मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर जारी करने वाले स्टिंग को देखते वक्त धृतराष्ट्र बन जाती है? आज उत्तराखंड की सत्ता और सत्तासीन मुखिया पर लग रहे सवाल सबके सामने है और केंद्र सरकार की रहस्यमय चुप्पी पर सबको हैरत है।
ऐसे में जबकि मोदी जी देश में भ्रष्टाचार विहिन शासन देने का दावा करते हैं, क्या उनके जीरो टोलरेंस के दावे का काला सच देवभूमि उत्तराखंड में देखने को नहीं मिल रहा है? जिसमें वह कांग्रेस के एक पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उसी पत्रकार उमेश कुमार शर्मा के स्टिंग पर फसा रहे हैं तो दूसरी तरफ उसी पत्रकार के स्टिंग पर अपनी सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को साफ-साफ बचा रहे हैं।